आरंभिक सार्वजनिक निर्गम का सीजन पूरी तरह से गुलजार है, ऐसे में निवेश बैंकर सौदे चुनने में पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। यह कदम शेयर बिक्री करने जा रही कुछ कंपनियों के हितों के टकराव वाले उपबंध को टालने के लिए उठाया गया है। इसके तहत निवेश बैंकरों को प्रतिस्पर्धी कंपनियों के आईपीओ का कामकाज लेने से मना किया गया है ताकि संवेदनशील सूचनाओं व रणनीति को साझा न किया जा सके।
यह डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम व मोबिक्विक के आईपीओ में देखा जा रहा है। दोनों फर्मों ने अलग-अलग बैंकरों को चुना है। दोनों इश्यू के लिए जहां आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज को शामिल किया गया है, वहीं आईसीआईसीआई बैंंक की इकाई को पेटीएम आईपीओ के लिए सिर्फ संयोजन का काम सौंपा गया है क्योंकि वह मोबिक्विक की मुख्य बैंकर है। बीएनपी पारिबा, क्रेडिट सुइस, आईआईएफएल सिक्योरिटीज और जेफरीज अन्य इन्वेस्टमेंट बैंक हैं, जिसे मोबिक्विक ने अपने आईपीओ का कामकाज संभालने के लिए नियुक्त किया है। इस बीच, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स, ऐक्सिस कैपिटल, जेपी मॉर्गन, सिटीबैंक और एचडीएफसी बैंक पेटीएम के 16,000 करोड़ रुपये के आईपीओ का कामकाज संभाल रहे हैं।
इस मसले पर पेटीएम और मोबिक्विक ने टिप्पणी करने से मना कर दिया। मोटे तौर पर इन्वेस्टमेंट बैंंकिंग शुल्क जुटाई जाने वाली रकम का एक से तीन फीसदी तक होता है। इसके परिणामस्वरूप निवेश बैंकर बड़े आईपीओ पर नजर डालते हैं, चाहे उन्हें कुछ ही सौदे मिलें। यह जानकारी उद्योग की कंपनियों ने दी।
डीएसके लीगल के सहायक साझेदार गौरव मिस्त्री ने कहा, पूंजी बाजार में उफान है, ऐसे में निवेश बैंकरों के लिए मांग पूरी करना मुश्किल होता जा रहा है और इसके साथ ही उम्मीदों का प्रबंधन भी। वैसी स्थिति में जब प्रतिस्पर्धी कंपनियां एक ही समय में सूचीबद्धता पर विचार कर रही हो तो यह और भी मुश्किल हो जाता है, खास तौर से हितों के टकराव को लेकर।
हितों के टकराव का मसला हालांकि एक दशक से ज्यादा पुराना है, लेकिन बाजार में उछाल के दौरान यह अहम हो गया। अभी 50 कंपनियां आईपीओ पेश करने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। उनमें से कई एक ही क्षेत्र मसलन दवा, स्पेशियलिटी केमिकल, वित्तीय सेवाएं और रियल एस्टेट में परिचालन कर रही हैं।
एलऐंडटी पार्टनर्स के पार्टनर नवीन एस. ने कहा, यहां अनिवार्य रूप से हितों के टकराव का मामला उठता है। उदाहरण के लिए सलाहकारोंं की पहुंच गोपनीय व संवेदनशील सूचनाओं तक होती है और क्लाइंट के लिए यह मुश्किल हो जाता है अगर वह सलाहकार प्रतिस्पर्धियों के लिए भी काम करे। विभिन्न हितों के साथ अपने क्लाइटों की स्वतंत्र सलाह देने के मामलों में सलाहकारोंं को समझौता करना होता है। क्लाइंटों को भी उम्मीद हो सकती है कि उनके सलाहकार प्रतिस्पर्धियों के लिए काम नहींं करेंगे और इसके लिए थोड़ी मोहलत पर जोर दे सकते हैं।
साल 2016 में सूटी की हिस्सेदारी के प्रबंधन के लिए निवेश बैंकरों के चयन के समय सरकार ने एक उपबंध रखा था, जिससे प्रतिस्पर्धी निजी क्षेत्र की कंपनी को तीन साल के लिए कामकाज हाथ में लेने से रोक दिया। हालांकि निवेश बैंकर समुदाय की तरफ से चिंता जताने के बाद केंद्र ने इस उपबंध में बदलाव किया था और कहा था कि शेयर बिक्री के दौरान प्रतिस्पर्धी कंपनी की शेयर बिक्री का काम वह हाथ में न ले।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि कुछ कंपनियां एक ही क्षेत्र में शेयर बिक्री का कामकाज सफलता से संभालने वाले बैंकों को तरजीह देती हैं। कुछ मामले में वे हितों के टकराव वाले उपबंधों में ढील देती हैं, अगर उस बैंक के साथ उसका मजबूत संबंध हो। हालांकि ज्यादातर उसी बैंकर के साथ काम नहीं करना चाहते, अगर आईपीओ का समय एक ही हो।
आरंभिक सार्वजनिक निर्गम व अन्य शेयर बिक्री का कामकाज संभालने पर निवेश बैंकरों का शुल्क साल की पहली छमाही में 25 फीसदी बढ़कर 12.6 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया, जो साल 2011 के बाद सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा रेफ्निटिव ने संकलित किया है।