भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोगुना से अधिक बढ़ाकर 49 प्रतिशत तक करने की योजना बना रही है। नीतिगत चर्चा से सीधे जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी है। सूत्र ने बताया कि इस मसले पर वित्त मंत्रालय पिछले दो महीने से बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को अभी अंतिम रूप दिया जाना है।
भारत के बैंकिंग उद्योग में विदेशी रुचि बढ़ रही है। दुबई स्थित एमिरेट्स एनबीडी ने हाल ही में 3 अरब डॉलर में आरबीएल बैंक में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है। उधर सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प ने 1.6 अरब डॉलर में येस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है, जिसे जापानी ऋणदाता ने बाद में 4.99 प्रतिशत और बढ़ा दिया।
सूत्र ने कहा कि सरकारी बैंकों में भी विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ रही है और विदेशी मालिकाना की सीमा बढ़ाए जाने से उन्हें आन वाले वर्षों में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिलेगी। इस रिपोर्ट के बाद निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकां 3.02 प्रतिशत बढ़कर 8,053.4 पर पहुंच गया, जो आखिर में 2.22 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ।
सूत्र ने मौजूदा 20 प्रतिशत सीमा बढ़ाए जाने पर चल रही चर्चा की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कदम निजी और सरकारी बैंकों के नियमन में अंतर कम करने की कवायद का भी हिस्सा है। भारत के निजी बैंकों में विदेशी मालिकाना 74 प्रतिशत तक रखने की अनुमति है। सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकतर 49 प्रतिशत किए जाने के प्रस्ताव की रिपोर्ट इसके पहले नहीं आई है। दोनों सूत्रों ने अपनी पहचान बताने से मना किया है क्योंकि यह चर्चा अभी सार्वजनिक नहीं है।
भेजे गए ई-मेल पर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज रही है और यह पिछले 3 वित्त वर्षों से औसतन 8 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में ऋण की मांग बढ़ रही है और कर्जदाताओं का आकर्षण बढ़ रहा है। जनवरी से सितंबर के बीच भारत के वित्तीय क्षेत्र में सौदे 127 प्रतिशत बढ़कर 8 अरब डॉलर पहुंच गए हैं।
भारत में सरकार के मालिकाना वाले 12 बैंक हैं। मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक इनकी कुल मिलाकर संपदा 171 लाख करोड़ रुपये है, जो बैंकिंग सेक्टर का 55 प्रतिशत है। पहले सूत्र ने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में न्यूनतम शेयरधारिता 51 प्रतिशत बनाए रखने की योजना बनाई है। इस समय 12 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है।
शेयर बाजार के 30 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इस समय सरकारी बैंकों में केनरा बैंक में सबसे अधिक 12 प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी है, जबकि यूको बैंक में शून्य के करीब हिस्सेदारी है।
रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग क्षेत्र में नियमों को कम करने और आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, साथ ही विदेशी बैंकों को भारतीय निजी ऋणदाताओं में बड़ी हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए भी अधिक खुला रुख अपनाया है।