कोविड-19 महामारी और इसके आर्थिक प्रभाव के कारण सितंबर, 2021 में समाप्त होने वाली वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में बढ़ोतरी हो सकती है, जिसकी वजह से बकाया लोन बुक का उच्च स्तर और बढ़ सकता है। इक्रा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पुनर्गठन और सरकार की गारंटी वाले 1.5 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त वित्तपोषण से कर्जदाताओं को कुछ राहत मिल सकती है।
बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता ने सकारात्मक रूप से आश्चर्यचकित किया है। मार्च, 2021 में सकल एनपीए 7.6 प्रतिशत रह गया, जो मार्च, 2020 में 8.6 प्रतिशत था। शुद्ध एनपीए भी मार्च, 2021 में 2.5 प्रतिशत रह गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 3 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 21 में ताजा एनपीए सृजन भी घटकर 3.6 लाख करोड़ रुपये (अग्रिम का 2.7 प्रतिशत) रह गया जो वित्त वर्ष 20 में 3.7 लाख करोड़ रुपये (4.2 प्रतिशत) था।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि बैंकों के प्रमुख सपत्ति गुणवत्ता के आंकड़े से आय और नकदी प्रवाह पर पड़ रहे दबाव का पता नहीं चलता, जिस पर कोविड-19 का असर पड़ा है।
मॉरिटोरियम और कर्ज पुनर्भुगतान, इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) जैसे विभिन्न नियामकीय और नीतिगत कदम उठाए जाने का बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता पर सकारात्मक असर पड़ा है।
बहरहाल ओवरड्यू लोन बुक लगातार बढ़े हुए सस्तर पर बना हुआ है और कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इनमें से कुछ उधारी लेने वालों का कर्ज वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में एनपीए में बदल सकता है।