facebookmetapixel
Year Ender 2025: ट्रंप के जवाबी शुल्क से हिला भारत, 2026 में विविध व्यापार रणनीति पर जोर छोटे राज्य बन गए GST कलेक्शन के नायक: ओडिशा और तेलंगाना ने पारंपरिक आर्थिक केंद्रों को दी चुनौतीYear Ender 2025: इस साल बड़ी तादाद में स्वतंत्र निदेशकों ने दिया इस्तीफा, जानें वजहेंGMP अनुपालन की चुनौती, एक चौथाई MSME दवा विनिर्माता ही मानकों पर खरा उतर पाएंगीतेजी के बाद नए साल में अमेरिका फोक्स्ड फंड्स का कम रह सकता है जलवासाल 2026 में क्या बरकरार रहेगी चांदी की चमक! एक्सपर्ट्स ने बताई आगे की इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी 2025 में चमका सोना, लेकिन 2026 में निवेशक सावधान: रिटर्न के पीछे भागने से बचें और संतुलन बनाए रखेंYear Ender 2025: भयावह हादसों ने दिए गहरे जख्म, प्लेन क्रैश, आग, बाढ़ और भगदड़ ने खोली व्यवस्थाओं की कमजोरियांटाटा पावर का बड़ा लक्ष्य: 15% ऑपरेशन प्रॉफिट और मुंद्रा प्लांट जल्द फिर से शुरू होने की उम्मीदस्टोनपीक का ओपन ऑफर: कैस्ट्रॉल इंडिया के शेयर में बड़ी तेजी की संभावना कम

पैन को अनिवार्य करने से लग सकता है ग्रामीण बीमा उद्योग को झटका

Last Updated- December 05, 2022 | 4:27 PM IST

किसी भी वित्तीय लेन-देन के लिये पैन(स्थायी खाता नंबर) की आवश्यकता को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर जीवन बीमा कंपनियां बहुत गंभीर हैं। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में सभी वित्तीय लेनदेन के लिये पैन कार्ड को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव दिया था। वित्त मंत्री के इस प्रस्ताव से बीमा कंपनियों के बीच यह संदेह हो गया कि क्या बीमा प्रोडक्ट भी वित्तीय लेनदेन की सीमा के भीतर आ जाएंगे।
भारतीय जीवन बीमा निगम के एक उच्च अधिकारी ने बिजनैस स्टैंडर्ड से कहा कि यदि पैन कार्ड बीमा के लिये अनिवार्य हो जाता है तो इससे गांवों में बीमा कंपनियों के व्यापार को गहरा नुकसान पहुंचेगा। इस समय यह कुल बीमा उद्योग के  40 फीसदी से भी अधिक है।
उन्होंने यह भी कहा कि इससे बीमा कंपनियों को आईआरडीए के निर्धारित मानकों को पूरा करने में भी दिक्कतें आयेंगी। आईआरडीए के मानकों के अनुसार एक बीमा कंपनी को अपने पहले,दूसरे,तीसरे,चौथे,पांचवें और सांतवे साल में ग्रामीण क्षेत्र में कुल बीमा पॉलिसियों का क्रमश: सात फीसदी, 12 फीसदी,14 फीसदी, 16 फीसदी और 19 फीसदी करना अनिवार्य है।
उन्होंने यह भी कहा कि गांवों के लोगों को पैन कार्ड के बारे में अभी जानकारी नही है और वे यह भी नही जानते है कि इसे कैसे पाया जाता है विशेषकर कस्बों और गांवो में। यहां तक कि कस्बों और गांवों के निवेशकों के ऊपर से पैन कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर देनी चाहिये।
बीमा उद्योगों के सूत्रों के अनुसार किसी भी मामले में अगर कोई व्यक्ति एक लाख के ऊपर का बीमा कराता है तो एंटी मनी लाँडरिंग पालिसी के तहत उसे कुछ जमानतें देनी पड़ती है। मेट्रो शहरों में बीमा कंपनियां बीमा करते समय पैन कार्ड और अन्य वित्तीय कागजात जमा करते है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन और संपत्ति कर की रसीदों को बीमा धारकों से इकठ्ठा किया जाता है। इसलिये वित्त मंत्री की पैन कार्ड अनिवार्य बनाने की आकांक्षाएं इन दो प्रकिया से भी पूरी हो सकती है।
बीमा उद्योग के सूत्रों का कहना है कि बीमा एक सामाजिक उपकरण है जो किसी आकस्मिक आपदा से सुरक्षा देता है। यह कोई उत्पाद नहीं है जिसे बेचा जा सके बल्कि यह एक वायदा है। इसके अतिरिक्त भारतीय जीवन बीमा निगम ने बजट में घोषित 1000 करोड़ रुपये की ग्रामीण बीमा योजना के बारे में विस्तार से बताने के लिये वित्त मंत्रालय को लिखा है।

First Published - March 5, 2008 | 7:29 PM IST

संबंधित पोस्ट