कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों ने कर्ज पुनर्गठन से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की योजना को लेकर उत्साह नहीं दिखाया है। कम से कम बैंक अधिकारियों का तो यही कहना है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी (एमडी एवं सीईओ) ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘कंपनियां ऋण पुनर्गठन के लिए आगे नहीं आ रही हैं। इक्के-दुक्के अनुरोध ही आए हैं। कर्ज पुनर्गठन का विकल्प चुनने को लेकर कंपनियों में बहुत उत्साह नहीं है और उनकी सबसे बड़ी चिंता क्रेडिट रेटिंग को लेकर है। अब तक कर्ज पुनर्गठन को लेकर चार से पांच कंपनियों ने ही पूछताछ की हैं। 100 से 1,000 करोड़ रुपये के दायरे वाले ऋणों के संबंध में उन्होंने पूछताछ की है, लेकिन इन खातों का पुनर्गठन होगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।’
कर्जदाता ऋण आवंटित करने से पहले कंपनियों की रेटिंग और व्यक्तिगत कर्जदाताओं के क्रेडिट स्कोर पर विचार करते हैं। जिन ऋण खातों का पुनर्गठन होगा बैंक उन्हें क्रेडिट ब्यूरो को ‘पुनर्गठित’ खाते के तौर पर बताएंगे, लेकिन इससे क्रेडिट स्कोर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने कर्ज पुनर्गठन के संबंध में अक्सर पूछे जा रहे सवालों के जवाब अपने वेबसाइट पर डाल रखे हैं। इनमें कहा गया है, ‘कर्ज पुनर्गठन ग्राहकों के स्तर पर होगा। इसका आशय है कि भले ही ग्राहक ने अपने एक ही ऋण के लिए पुनर्गठन की सुविधा ली है, लेकिन बैंक उस ग्राहक के सभी खाते एवं ऋण ‘पुनर्गंठित’ के तौर पर चिह्नित करेंगे और क्रेडिट ब्यूरो को भेजेंगे।’ विनोद कोठारी कंसल्टैंट्स प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार उधार लेने वाले की साख पुनर्गठित खाते के संबंध में क्रेडिट ब्यूरो की नीतियों पर निर्भर करेगी।
स्वतंत्र सलाहकार एवं सीआरआईएफ इंडिया के पूर्व वरिष्ठ-उपाध्यक्ष परिजात गर्ग ने कहा, ‘क्रेडिट स्कोर पर भले ही असर नहीं हो, लेकिन इसका बहुत लाभ भी नहीं मिलेगा क्योंकि बैंक बड़े पैमाने पर उधार देते समय कई दूसरे मानदंडों पर भी विचार करते हैं। वे उस क्रेडिट रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं, जो किसी ऋण खाते को पुनगर्ठित खाते के तौर पर परिभाषित करेंगे या जिसमें कर्ज की शर्तों में बदलाव परिलक्षित होंगे। इसके बाद सोच-विचार करने के बाद ही बैंक आगे कोई निर्णय लेंगे।’ आरबीआई की कर्ज पुनर्गठन योजना के अनुसार इस सुविधा का लाभ लेने पर ग्राहकों के खाते की गुणवत्ता कम नहीं होगी और ये मानक खाते ही माने जाएंगे। हालांकि कंपनियों को यह चिंता सता रही है कि भारत में कर्ज पुनर्गठन की सुविधा लेने के बाद अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इसे कर्ज में चूक के तौर पर देखेंगे।
