पब्लिक सेक्टर के कर्जदाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने सितंबर 2023 को समाप्त दूसरी तिमाही (Q2FY24) में संकटग्रस्त एयरलाइन गो फर्स्ट को दिए गए अपने लोन को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में क्लासिफाई किया है। एयरलाइन कंपनी मई 2023 से दिवालिया कार्यवाही के दौर से गुजर रही है, जिसके चलते इसने 3 मई, 2023 से उड़ानों का ऑपरेशन बंद कर दिया।
पब्लिक सेक्टर के कर्जदाता का एक्सपोजर करीब 2,000 करोड़ रुपये है। इसमें संकट के दौर से गुजर रही एयरलाइन को सरकार द्वारा गारंटीकृत एमरजेंसी लोन भी शामिल है। सेंट्रल बैंक के अलावा, एक अन्य राज्य के सरकारी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा का भी गो फर्स्ट में पर्याप्त निवेश है।
Q2FY24 के लिए एक एनॉलिस्ट कॉल में सेंट्रल बैंक के अधिकारियों ने कहा कि बैंक ने पहले एक बड़े कॉरपोरेट अकाउंट (Go First) के लिए स्टैंडर्ड एसेट कैटेगरी में प्रावधान किया था क्योंकि उसे उम्मीद थी कि इस अकाउंट में आगे चलकर कुछ समस्याएं हो सकती हैं। तो अब जब कॉरपोरेट अकाउंट NPA में चला गया है, तो प्रावधान (प्रोविजन) को राइट-बैक (write-back ) कर दिया गया और उस अकाउंट पर 100 प्रतिशत का प्रावधान किया गया।
बैंक अधिकारियों ने कहा कि पिछली तिमाही (Q1FY24) में, इसने इस खाते पर प्रावधान (600 करोड़ रुपये से ज्यादा) पर टैक्स का भुगतान किया, इसे एक स्टैंडर्ड एसेट माना। अब, NPAके रूप में प्रावधान बढ़कर 2,000 करोड़ रुपये के करीब हो गया है और इससे बैंक को 43 करोड़ रुपये का राइट-बैक मिला है।
हालांकि बैंक ने यह नहीं बताया कि वह इस अकाउंट से कितनी वसूली कर सकता है, लेकिन उसने कहा कि अकाउंट पर्याप्त रूप कोलैटेराइज्ड था। जब यह ऐसे टॉस्क पर काम करता है तो इसके ठीक होने की अच्छी संभावना होती है। बैंक अधिकारियों ने एनॉलिस्ट कॉल पर कहा कि रिकवरी के माध्यम से जो कुछ भी आएगा, वह मुनाफे में इजाफा करेगा।
प्रोविजनिंग के नियमों के अनुसार, यह एक सब-स्टैंडर्ड अकाउंट है। इसका मतलब यह है कि यह एक ऐसा अकाउंट है जो 12 महीने या उससे कम समय तक नॉन-परफॉर्मिंग रहता है। जबकि सब-स्टैंडर्ड अकाउंट के लिए प्रावधान की बाध्यता क्रेडिट फैसिलिटी के नेचर के आधार पर एक्सपोजर का 25 प्रतिशत तक हो सकती है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने एयरलाइन अकाउंट के लिए पूर्ण प्रावधान करने को प्राथमिकता दी है। बैंक अधिकारी ने कहा, ‘बैंक ओवरऑल एसेट क्वालिटी प्रोफाइल में लगातार सुधार चाहता है और ऐसे में यह नेट एनपीए को भी कम करना चाहता है और इसलिए आवश्यकता से कहीं ज्यादा प्रावधान किया है।’
2,000 करोड़ रुपये के एक्सपोजर में से, 600 करोड़ रुपये से ज्यादा को भारत सरकार की एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत कवर किया गया है। सरकार के स्वामित्व वाली नैशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) यह योजना चलाती है, जो इस महामारी के दौरान संगट से गुजर रही विभिन्न कंपनियों और MSME को एमरजेंसी लोन सुविधाएं प्रदान करती है। दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत कार्यवाही से समाधान और वसूली की संभावनाओं के आधार पर, कर्जदाता यानी बैंक को क्लेम फाइल करने होंगे।
इस महीने, नवीन जिंदल के नेतृत्व वाली जिंदल पावर लिमिटेड (JPL) और गुवाहाटी स्थित रीजनल एयरलाइन जेटविंग्स एयरवेज ने गो फर्स्ट के लिए रुचि पत्र (EoI) जमा किया है।
पिछले कुछ हफ्तों से, गो फर्स्ट के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल सीमित उड़ानों के साथ एयरलाइन को फिर से चलाने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, विमान के पट्टेदारों (lessors) द्वारा दायर किए गए कानूनी मामलों के कारण बैंकों से फंडिंग पाना गो फर्स्ट के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।