बैंकों, जिन्होंने विवादों से घिरे प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज में निवेश किया हुआ है, ने कहा कि वे सत्यम को अतिरिक्त कर्ज नहीं देने के विकल्पों पर विचार करेंगे साथ ही ऑडिटर से इस संदर्भ में स्पष्टीकरण की मांग करेंगे।
बैंकों ने कहा कि सत्यम के बैंलेंस शीट की धोखाधड़ी के मामले का उनके ऊपर प्रभाव नहीं पड़ेगा।बैंक ऑफ बड़ौदा का निवेश भी सत्यम में है।
इस बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि जो ग्राहक लेखा के मामले में धोखाधड़ी करने को स्वीकार कर लेते हैं उन्हें सामान्य ग्राहक नहीं समझा जाता है।
ऐसे मामले में बैंक अतिरिक्त ऋण उपलब्ध नहीं कराने के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक, जिसका सत्यम में 3 करोड़ रुपये का निवेश है, ने कहा कि इस निवेश के कारण घटनाक्रम पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं होगा।
आईसीआईसीआई बैंक द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘आईसीआईसीआई बैंक का अग्रिम सौदे के तौर पर मामूली लगभग 3 करोड़ रुपये का निवैश है।
इसके अलावा फंड आधरित या गैर-फंड आधारित निवेश सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज में नहीं है।आईसीआईसीआई बैंक में सत्यम का चालू जमा खाता है। इस खाते की राशि महत्वपूर्ण नहीं है।’
सितंबर 2008 में सत्यम का कुल सुरक्षित ऋण लगभग 253 करोड़ रुपये था (कंपनी के बैलेंस शीट के अनुसार)। सूत्रों ने बताया कि नकदी बैलेंस को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने की वजह से लिया गया कर्ज गैर-निष्पादित ऋण की श्रेणी में आ सकता है। कंपनी का असुरक्षित ऋण इस अवधि में लगभग 235 करोड़ रुपये का था।
देश में निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े कर्जदाता बैंक एचडीएफसी बैंक ने कहा कि सत्यम कंप्यूटर में इसका निवेश मामूली है और वह भी ऑटो लोन के तौर पर। सूत्रों ने बताया कि बैंक इन ऋणों को लेकर चिंतित नहीं है क्योंकि पुनर्भुगतान में डीफॉल्ट नहीं किया गया था।
एचएसबीसी और सिटीबैंक जैसे विदेशी कर्जदाताओं ने सत्यम में निवेश के मामले में यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि किसी ग्राहक-विशेष के लेन-देन के बारे में वे कोई टिप्पणी नहीं करते।