कोविड-19 महामारी के समय पिछले साल घोषित नियामकीय पैकेज के तहत पुनर्गठित किए गए करीब 70,000 करोड़ रुपये मूल्य के कर्जों को परिचालन से जुड़े मानक पूरा करने के लिए छह महीनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। बैंकरों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के इस कदम को पर्यटन, रियल एस्टेट, आतिथ्य-सत्कार जैसे तनावग्रस्त क्षेत्रों को समर्थन एवं राहत देने वाला बताया है। ये सभी क्षेत्र महामारी की दूसरी लहर में बुरी तरह प्रभावित हुए। बैंकरों ने संभावना जताई है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक रिकवरी होने से इन क्षेत्रों की कंपनियों के जोखिम कम हो पाएंगे।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि तनावग्रस्त इकाइयों के लिए परिचालन संबंधी मानकों पर खरा उतरने की मियाद बढ़ाने से कंपनियों को महामारी के आघात से उबरने में थोड़ी मदद मिलेगी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक को दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभावों का बखूबी अंदाजा है लिहाजा कर्ज पुनर्गठन संबंधी परिचालक मानकों को पूरा करने की तय समयसीमा को बढ़ाकर 1 अक्टूबर 2022 करने का फैसला लिया गया है। पहले कंपनियों को ये मानक पूरा करने के लिए 31 मार्च 2022 तक का वक्त दिया गया था। केंद्र सरकार ने 6 अगस्त 2020 को घोषित समाधान प्रारूप पैकेज में कर्ज पुनर्गठन के लिए क्षेत्र-विशेष के आधार पर कुछ सीमाएं तय की थीं। इनमें से कर्जदार कंपनियों के लिए चार मानदंड कर्ज-एबिटा अनुपात, वर्तमान अनुपात, ऋण सेवा कवरेज अनुपात एवं औसत ऋण सेवा कवरेज अनुपात का रखा गया था।
