भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को डिजिटल भुगतानों के वैकल्पिक प्रमाणीकरण व्यवस्था के लिए मसौदा ढांचा जारी किया है। इसमें सभी डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन में एडीशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (AFA) यानी अतिरिक्त प्रमाणन के साथ प्रमाणीकरण अनिवार्य करने की बात कही गई है। हालांकि इस व्यवस्था में प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल पर 5,000 रुपये तक के संपर्क रहित कार्ड भुगतान, आवर्ती लेनदेन के लिए ई-मैंडेट तथा ऑफलाइन मोड से छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान आदि को बाहर रखा गया है।
इसके अलावा इसमें कहा गया है कि कार्ड देकर लेनदेन से इतर सभी डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन में सुनिश्चित करना होगा कि प्रमाणीकरण के कारकों में से कम से कम एक को सक्रियता से लागू किया गया है, यानी भुगतान की पहल करने के साथ ही इसे लागू किया गया है, यह उस लेनदेन के लिए ही है और इसे फिर से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। वहीं लेनदेन के लिए प्रस्तुत कार्ड का इस्तेमाल भौतिक रूप से लेनदेन के प्वाइंट पर होगा।
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने कहा है कि प्रमाणीकरण का पहला कारक और एएफए अलग-अलग श्रेणी के होने चाहिए।
एएफए का मतलब भुगतान निर्देश के प्रमाणीकरण के लिए अनिवार्य रूप से एक से अधिक कारकों का उपयोग करना है। इस समय डिजिटल भुगतान की व्यवस्था में एएफए के रूप में एसएमएस आधारित ओटीपी का इस्तेमाल किया जाता है।
फरवरी में रिजर्व बैंक ने कहा था कि तकनीक में नवोन्मेष के कारण हाल के वर्षों में वैकल्पिक प्रमाणीकरण व्यवस्था उभरी है। इसकी वजह से डिजिटल भुगतान संबंधी लेनदेन में प्रमाणीकरण के लिए सिद्धांत पर आधारित ढांचे की जरूरत पैदा हुई है।