केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) लंबित आयकर बकाये की वसूली के लिए अभियान चलाने की तैयारी में है। विभाग ने सितंबर के अंत तक ऐसे 5,000 बड़े मामलों की पहचान के लिए विशेष टीम बनाने का निर्णय किया है। कुल बकाया करों में इन मामलों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी होगी।
इन मामलों का पता लगाना चालू वित्त वर्ष के लिए सीबीडीटी की केंद्रीय कार्ययोजना (सीएपी) का हिस्सा है। अधिकारियों को आंतरिक रूप से भेजे गए संदेश में कहा गया है कि केंद्रीय कार्ययोजना ‘पिछली कर मांगों को संभालने के लिए ज्यादा ध्यान के साथ और लक्ष्य तय करते हुए काम करने की जरूरत है।
ऐसे कर बकाये या मांग को लेकर करदाताओं को पहले नोटिस भेजे गए थे मगर उसका भुगतान नहीं किया गया। कानूनी मुकदमों, कंपनियों के बंद होने, करदाताओं का पता नहीं लगने और स्रोत पर कर कटौती में विसंगति के कारण ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। कुछ ऐसे मामले भी हैं जिन पर अदालतों या न्यायाधिकरणों ने रोक लगाने का आदेश दिया है।
इस साल 1 अप्रैल तक बकाया मांग बढ़कर 43 लाख करोड़ रुपये हो गई जो 1 अप्रैल, 2023 में 24 लाख करोड़ रुपये थी। सीबीडीटी ने अपनी केंद्रीय कार्ययोजना में कहा है, ‘यह काफी ज्यादा वृद्धि है और इसके लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।’
5,000 बड़े मामलों के लिए सीबीडीटी ने केंद्रीय कार्ययोजना में दिशानिर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों, आईटीएटी में जिन कर मांग को लेकर मुकदमा लंबित है, उन मामलों में अधिकारी वकीलों के साथ मिलकर मुकदमेबाजी में फंसी रकम के आधार पर मामलों का शीघ्रता से निपटारा करने का उपाय करना चाहिए। जिन मामलों में एकतरफा आदेश दिए गए हैं, उनमें यह पता लगाया जाए कि अपील दायर की गई है या नहीं। साथही कहा गया है कि पिछले 3 वर्षों की मांगों को विशिष्ट रणनीतियों के साथ (जहां संभव हो) आगे बढ़ाया जा सकता है।
इसमें 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों में प्रयास के बावजूद वसूल नहीं की गई मांगों को अलग करने और जांच प्रकोष्ठ की मदद से बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर राइट-ऑफ करने या अधिक सक्रियता से कार्रवाई पर विचार करने का प्रस्ताव दिया गया है।
इसके अलावा अधिकारी फिजिकल रिकॉर्ड का पता लगाएं और प्रत्येक क्षेत्राधिकार में आने वाली शीर्ष 5,000 सूची से संबंधित मांगों की प्रकृति और अन्य विवरणों का विश्लेषण किया जाए। सीबीडीटी ने कहा है कि अधिकारियों को ऐसे मामलों की विस्तृत रिपोर्ट देनी चाहिए जिसमें करदाताओं का पता नहीं लग पा रहा है ताकि ऐसी मांगों के लिए अलग रणनीति पर विचार किया जा सके।
सीबीडीटी ने 1 अप्रैल, 2024 तक 16.69 लाख करोड़ रुपये के कुल शुद्ध वसूले जाने योग्य बकाया कर को घटाकर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7.98 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है।