केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई गठबंधन सरकार का खाका तैयार हो गया है। इसी के साथ बदले परिदृश्य ने भारतीय अफसरशाही को चिंता में डाल दिया है। एक दल के बहुमत वाली सरकार में 10 वर्षों तक केंद्रीकृत व्यवस्था में निर्णय लेकर आगे बढ़ते रहे शीर्ष अधिकारियों को अब गठबंधन राजनीति के दबाव का सामना करना पड़ेगा, जिसमें सरकार में सहयोगी क्षेत्रीय दल अपने-अपने मंत्रालयों में निजी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इससे अफसरशाहों को निर्णय लेने में देर होगी।
अधिकारी कहते हैं कि कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं होने के कारण इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि मंत्री खासकर गैर भाजपा मंत्री और सचिव के विचार आपस में न मिलें।
सरकार में एक बहुत वरिष्ठ अधिकारी ने कहा’ ‘कभी-कभी ऐसी भी स्थिति पैदा हो सकती है जब संबंधित मंत्री का फोकस ऐसी नीतियों पर हो जो उसके अपने राज्य के पक्ष में फायदे के लिए हों। ऐसे में प्रमुख अफसरशाहों के विचार मंत्री से अलग हो सकते हैं। इससे नीति निर्धारण और फैसले लेने में देरी होगी।’
अधिकारी वैकल्पिक स्थिति से भी चिंतित नजर आ रहे हैं। गठबंधन सरकारें बड़े स्तर पर अफसरों का तबादला करती हैं, क्योंकि गठबंधन सहयोगी अपने खाते में आने वाले मंत्रालय में अक्सर अपने गृह प्रदेश के कैडर के अधिकारी को पसंद करते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘गठबंधन राजनीति के दबाव को समझते हुए कड़े सुधारात्मक फैसलों को स्वीकृति दिलाना आसान नहीं होगा।
सरकार बनने से पहले की स्थिति में मंत्रालयों के कई अफसर खूब फायदा उठा रहे हैं। इस दौरान कई विभाग आग से बचाव के लिए अभ्यास कर रहे हैं। इसमें सभी रैंक के अफसर एक साथ मैदान में एकत्र होते हैं। कुछ अधिकारी मंत्रालय की खिड़कियों पर आकर बैठने वाले पक्षियों को दाना खिलाते भी देखे जा सकते हैं।
सरकारी विभागों की रसोई इस समय काफी व्यस्त दिखती हैं, क्योंकि अधिकारी वहां बैठक कर चाय की चुस्की के साथ समय गुजारते हैं और लंच समय में साथियों से गप करते हैं।
सौ दिन का एजेंडा
आम चुनाव से पहले सभी मंत्रालयों ने नई सरकार के शुरुआती 100 दिन का एजेंडा तैयार किया था। अब गठबंधन सरकार के चलते मंत्रालयों में बदलाव होगा, जिसका असर इस एजेंडे पर पड़ना लाजिमी है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘लोकतंत्र में राजनेता ही यह तय करता है कि किसी मंत्रालय का एजेंडा क्या होगा। सुधारों की दिशा में बढ़ते हुए अधिकारियों को कुछ मामलों पर दोबारा काम करना पड़ेगा।’ हालांकि बुनियादी ढांचा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि उनके द्वारा तैयार किया गया 100 दिन का एजेंडा नहीं बदलेगा।
(असित रंजन मिश्र, श्रेया नंदी, हर्ष कुमार, शिवा राजौरा, श्रीमी चौधरी, श्रेया जय, ध्रुवाक्ष साहा, आशुतोष मिश्र और रुचिका चित्रवंशी)