भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा रविवार को जारी चुनावी घोषणा पत्र नीतिगत निरंतरता पर केंद्रित है और यह देश में कारोबारी धारणा के लिए अच्छा संकेत हो सकता है और निजी कंपनियों के पूंजीगत व्यय में भी सुधार ला सकता है। यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को एक नोट में ऐसा कहा है। साथ ही कहा है कि कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र लोकलुभावन है।
यूबीएस की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता और एसोसिएट अर्थशास्त्री निहाल कुमार ने कहा है, ‘भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र बहुत हद तक नीतिगत निरंतरता पर केंद्रित है और पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के दौरान उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताया गया है।’ दोनों अर्थशास्त्रियों ने विल मोदी विन? इलेक्शन मैनिफेस्टोः पॉलिसी कंटीन्यूटी वर्सेज पॉपुलिज्म शीर्षक से नोट लिखा है।
उन्होंने कहा है, ‘हमारा मानना है कि नीतिगत निरंतरता पर ध्यान देना कारोबारी धारणा और निजी कंपनियों की पूंजीगत व्यय में सुधार के लिए अच्छा हो सकता है।’
भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं के विस्तार के बारे में कहा गया है। इनमें 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, पाइप रसोई गैस कनेक्शन, अगले पांच वर्षों तक के लिए मुफ्त खाद्यान्न और गरीब तबके के लोगों के लिए मुफ्त बिजली सहित कई योजनाओं के विस्तार की बात कही गई है।
साथ ही इसमें उच्च बुनियादी ढांचे के खर्च, विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने सहित व्यापक सरकारी प्रयासों के बारे में भी उल्लेख किया गया है।
इससे पहले सिटी अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में बड़े पैमाने पर संरचनात्मक आर्थिक सुधारों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। मगर उन्होंने कहा था कि निजीकरण, भूमि सुधार और विदेशी निवेश जैसे सुधारों की घोषणा बाद में की जा सकती है।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के बारे में यूबीएस के नोट में कहा गया है कि विपक्षी पार्टी के वादों से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, जिसे भाजपा ने वित्त वर्ष 2025 के अपने अंतरिम बजट में 5.1 फीसदी का अनुमान लगाया था।
इसने कहा है, ‘हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए लोकलुभावन वादों के क्रियान्वयन से राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 से 8.5 फीसदी तक बढ़ सकता है जबकि केंद्र की भाजपा सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के अपने अंतरिम बजट में इसे जीडीपी के 5.1 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया है।’
नोट में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस के चुनावी वादों को लागू करने से जीडीपी का 2 से 3.3 फीसदी की अतिरिक्त राजकोषीय लागत आएगी।