लापतागंज का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह एक छोटे से शहर की कहानी थी जिसे सिस्टम भूल गया था, और उसकी कल्पना हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार (satirist) शरद जोशी ने की थी। भुला दिए गए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के प्रोजेक्ट्स का एक ऐसा ही लापतागंज (भूली हुई जगह) मार्च में फिर से खूब याद आने लगा।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) के आंकड़ों के एनालिसिस से पता चलता है कि प्रोजेक्ट्स की वैल्यू कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण बढ़कर 4.5 ट्रिलियन (4.5 लाख करोड़) रुपये हो गई। Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) प्रोजेक्ट्स को ट्रैक करने के लिए कंपनी के बयानों, मीडिया रिपोर्टों और प्रमोटरों और कॉन्ट्रैक्टर्स से संपर्क का उपयोग करता है। जब किसी प्रोजेक्ट के बारे में काफी समय तक कोई जानकारी नहीं मिलती तो उसे ‘छोड़’ (ड्रॉप) दिया जाता है। ऐसे छोड़े गए प्रोजेक्ट्स की लेटेस्ट वैल्यू मार्च 2019 में 4.4 ट्रिलियन रुपये के पिछले हाई लेवल को पार कर गई, जैसा कि चार्ट 1 में देखा जा सकता है।
सरकार के 2.31 ट्रिलियन रुपये के प्रोजेक्ट्स ड्रॉप कर दिए गए। प्राइवेट सेक्टर के लिए यह 2.18 ट्रिलियन रुपये था। वैल्यू के टर्म में, पिछली तीन तिमाहियों में प्राइवेट सेक्टर के मुकाबले ज्यादा सरकारी प्रोजेक्ट्स प्रभावित हुए हैं और यह पिछले चुनाव चक्रों (election cycles) से बिलकुल उलट यानी विपरीत है। 2019 और 2014 में सरकारी प्रोजेक्ट्स की तुलना में जानकारी की कमी के कारण प्राइवेट सेक्टर के ज्यादा प्रोजेक्स ड्रॉप कर दिए गए थे।
मार्च 2024 में नए प्रोजेक्ट्स का इतना ऐलान हुआ है कि यह अब तक के दूसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्च 2024 में नए प्रोजेक्ट्स के लिए 11.3 ट्रिलियन रुपये का ऐलान किया गया। इसके पहले मार्च 2023 में सबसे ज्यादा 16 ट्रिलियन रुपये तक के प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया गया था। पिछले वर्ष की यह बढ़ोतरी बड़े विमान ऑर्डरों (large aircraft orders) के कारण हुई थी। इस बार विभिन्न क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स में बढ़ोतरी हुई है, जो निवेश में सुधार का संकेत देती है। कंपनियों द्वारा बड़ा निवेश आर्थिक विकास में मदद कर सकता है। नए प्रोजेक्ट्स आने से कुछ पुराने प्रोजेक्ट्स पीछे छूट सकते हैं।
चार तिमाही के आंकड़ों से पता चलता है कि जानकारी की कमी के कारण ड्रॉप की गई परियोजनाओं में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की है। इसके बाद बिजली (electricity ) और गैर-वित्तीय सेवा (non-financial services ) सेक्टर का नंबर आता है।
2019 में चुनावी मौसम के बाद कोई जानकारी न मिलने के कारण प्रोजेक्ट्स की वैल्यू अपने उच्चतम स्तर से गिर गई। 2024 में मतदान जून में समाप्त होना है।