Business Standard CEOs poll on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर हाल में उठे विवाद का मतदाताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आगामी लोक सभा चुनाव के नतीजे भी इससे बेअसर रहेंगे। ये बातें बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में सामने आई हैं। इस सर्वेक्षण में 10 मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) से चुनावी बॉन्ड पर उठे विवाद पर उनकी राय पूछी गई।
इन सीईओ ने कहा कि राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली कंपनियों एवं लोगों के नामों के खुलासे से मतदाता प्रभावित नहीं होंगे और न ही इससे लोक सभा चुनाव के नतीजों पर ही कोई असर पड़ेगा। जब इन सीईओ से नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाजी प्रदर्शन एवं विकास कार्यों पर उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने 1 से 5 (एक सबसे कम और 5 सबसे अधिक) के पैमाने पर औसतन 4.1 रेटिंग दी। एक सीईओ ने मोदी सरकार को 3 रेटिंग दी जबकि दो ने मोदी सरकार के प्रदर्शन एवं विकास कार्यों को 5 में 5 रेटिंग दी।
एक सीईओ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘पिछले पांच साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं। मगर जब वैश्विक हालत के बरअक्स देखेंगे तो भारत का प्रदर्शन कहीं बढ़िया रहा है। इसे देखते हुए मैं मोदी सरकार को 5 में 5 रेटिंग से नवाजूंगा।’
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले सीईओ में 30 प्रतिशत ने कहा कि कंपनियों से एवं निजी स्तर पर चंदा लेने से बचने के लिए चुनाव खर्च के लिए सरकारी स्तर पर ही प्रावधान किया जाना चाहिए। मगर इतने ही सीईओ इस तर्क से सहमत नहीं हुए। 40 प्रतिशत ने चुनाव पर होने वाले खर्च के लिए सरकारी स्तर पर प्रावधान किए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा।
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एक सीईओ ने कहा, ‘राजनीतिक दलों एवं कंपनियों दोनों के लिए चंदे की जानकारी देना अनिवार्य होना चाहिए। कंपनियों की सालाना रिपोर्ट में इससे जुड़ी जानकारियां स्पष्ट रूप से शामिल होनी चाहिए और सभी दलों को भारतीय निर्वाचन आयोग को इनकी जानकारियां देनी चाहिए।’
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले आधे सीईओ ने कहा कि राजनीतिक चंदे के विषय पर उनके निदेशकमंडल (बोर्ड) में कोई स्वीकृत नीति नहीं है। 40 प्रतिशत का कहना था कि उनके बोर्ड में राजनीतिक चंदे पर मंजूरी ली जाती है। उपभोक्ता उत्पाद (कंज्यूमर प्रोडक्ट्स) बनाने वाली एक कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘चुनावी खर्च के लिए मिलने वाली रकम को लेकर थोड़ी और पारदर्शिता की जरूरत है। हमें इस मामले में पश्चिमी देशों से सबक लेना चाहिए।’
इन सीईओ से यह भी पूछा गया कि अगले पांच वर्षों में उन्हें सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं। इस पर सीईओ ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति लाने, रोजगार सृजन और लघु एवं मझोले उद्यमियों के लिए अधिक समर्थन देने के उपाय करने चाहिए।
प्रशासन और विकास के लिहाज से पिछले 5 साल को आप 1 से 5 के बीच कितनी रेटिंग देंगे? 1 सबसे कम और 5 सबसे अधिक है।
औसत रेटिंग : 5 में से 4.3
हां : 0 फीसदी नहीं: 100 फीसदी मालूम नहीं : 0 फीसदी
हां : 30 फीसदी नहीं: 30 फीसदी मालूम नहीं : 40 फीसदी
हां : 40 फीसदी नहीं: 50 फीसदी मालूम नहीं : 10 फीसदी
स्रोत : बीएस CEO सर्वे
(मुंबई से देव चटर्जी, शार्लीन डिसूजा, सोहिनी दास, राघव अग्रवाल, कोलकाता से ईशिता आयान दत्त और चेन्नई से शाइन जैकब)