भारत को निर्यात में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने आज 2025 के लिए वैश्विक वस्तु व्यापार का अनुमान बहुत कम कर दिया है। डब्ल्यूटीओ ने पहले विश्व व्यापार में 2.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था लेकिन अमेरिका द्वारा 10 प्रतिशत बुनियादी शुल्क को देखते हुए अनुमान पहले की तुलना में 0.2 प्रतिशत घटा दिया है।
2024 में मूल्य के हिसाब से भारत का निर्यात 2.6 प्रतिशत, जबकि आयात 6.6 प्रतिशत बढ़ा है। बहुपक्षीय संगठन ने चेतावनी दी है कि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा रोके गए जवाबी शुल्क को फिर से लागू किए जाने की स्थिति में व्यापार नीति को लेकर अस्थिरता आएगी और ऐसा होने पर चालू वित्त वर्ष के दौरान वैश्विक वस्तु व्यापार में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
डब्ल्यूटीओ ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में कहा है कि 2025 के लिए नया अनुमान, हाल के नीतिगत बदलावों के बिना होने वाले अनुमान से लगभग 3 प्रतिशत कम है। यह साल की शुरुआत के बाद से एक महत्त्वपूर्ण उलटफेर दिखाता है, जब डब्ल्यूटीओ के अर्थशास्त्रियों को व्यापक आर्थिक स्थितियों में सुधार के साथ कारोबार में विस्तार जारी रहने की उम्मीद थी।
हाल में हुए व्यापार नीति में हुए बदलावों का असर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। समायोजित पूर्वानुमान के मुताबिक वैश्विक व्यापार वृद्धि में उत्तरी अमेरिका का योगदान 1.7 प्रतिशत कम हो जाएगा। इसकी वजह से कुल मिलाकर आंकड़े ऋणात्मक हो गए हैं।
एशिया और यूरोप का वैश्विक कारोबार धनात्मक है। लेकिन एशिया का योगदान आधा होकर 0.6 प्रतिशत रह गया है। अन्य इलाकों, अफ्रीका, राष्ट्रमंडल के स्वतंत्र देश, पश्चिम एशिया, दक्षिण और मध्य अमेरिका और कैरेबियाई देशों के निर्यात में भी कमी का अनुमान है, लेकिन यह धनात्मक है।
डब्ल्यूटीओ ने कहा है, ‘अमेरिका-चीन के बीच व्यापार में व्यवधान से उल्लेखनीय रूप से व्यापार में बदलाव होने की संभावना है। इससे कई बाजारों में चीन से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। अगर व्यापार का रुख अन्य बाजारों की ओर हुआ तो चीन से वस्तुओं का निर्यात उत्तर अमेरिका से इतर देशों में 4 से 9 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इस दौरान चीन से अमेरिका को होने वाले कपड़ा, परिधान और इलेक्ट्रिकल उपकरण जैसी वस्तुओं के आयात में तेज गिरावट दिख सकती है। ऐसे में अन्य आपूर्तिकर्ता देशों के लिए अवसर पैदा होगा। इस प्रकार कुछ अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के लिए व्यापार का दरवाजा खुल सकता है और वे अमेरिका को निर्यात बढ़ा सकते हैं।’
सेवाओं का कारोबार सीधे तौर पर शुल्क से जुड़ा हुआ नहीं है। इसके बावजूद इस पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है। डब्ल्यूटीओ ने कहा है कि शुल्क के कारण वस्तु व्यापार में गिरावट आने की स्थिति में इससे जुड़ी सेवाएं जैसे ट्रांसपोर्ट और और लॉजिस्टिक्स में सुस्ती आएगी। इसके अलावा व्यापक अनिश्चितता की स्थिति में यात्रा पर विवेकाधीन व्यय में कमी आएगी और निवेश से जुड़ी सेवाएं भी सुस्त हो जाएंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘परिणामस्वरूप अब वाणिज्यिक सेवाओं के व्यापार की वैश्विक मात्रा में 2025 में 4 प्रतिशत वृद्धि और 2026 में 4.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह शुरुआती अनुमानों क्रमशः 5.1 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत से बहुत कम है।’