भारत ने आर्थिक स्थिति को लेकर व्यापक अनिश्चितता की स्थिति और निवेश को प्रभावित करने वाली मंदी की आशंका के बावजूद भारत में वर्ष 2022 में लगातार दूसरे साल चीन की तुलना में अधिक नई यूनिकॉर्न (Unicorn) बनी हैं।
देश में 2022 में 23 स्टार्टअप कंपनियों को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला जब उन्होंने 1 अरब डॉलर के मूल्यांकन स्तर को पार कर लिया। वहीं इस अवधि के दौरान चीन में एक अरब डॉलर के मूल्यांकन वाले ऐसी स्टार्टअप की संख्या महज 11 रही। यह लगातार दूसरी बार है जब इस मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा है।
आईवीसीए-बेन ऐंड कंपनी की रिपोर्ट में बताया गया कि अब भारत में उच्च मूल्य वाली इन कंपनियों की संख्या 96 हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू स्टार्टअप में सौदे के मूल्य में 33 प्रतिशत की कमी आई और यह 2021 के 38.5 अरब डॉलर से घटकर 2022 में 25.7 अरब डॉलर रह गया।
बेन ऐंड कंपनी में पार्टनर अर्पण सेठ ने वेंचर कैपिटलिस्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘कुल फंडिंग में वर्ष 2022 में गिरावट देखी गई, जिसकी वजह आखिरी चरण वाले कई बड़े करार में कमी आई। स्टार्टअप तंत्र को मूलभूत बदलावों का सामना करना पड़ा क्योंकि वेंचर कैपिटलिस्ट ने आर्थिक पहलू पर ध्यान दिया वहीं स्टार्टअप को कई नियामकीय चुनौतियों, छंटनी और कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दों के चलते चुनौतीपूर्ण वर्ष का सामना करना पड़ा। आगे जाकर भी व्यापक आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियां फंडिंग को प्रभावित करेंगी लेकिन वर्ष 2023 में देश में और अधिक चुनौतीपूर्ण माहौल बनने की उम्मीद है।’
फंडिंग में गिरावट काफी हद तक 2022 की दूसरी छमाही में देखी गई थी। गिरावट के बावजूद शुरुआती चरण का निवेश जारी रहा, जिससे वर्ष में कुल वेंचर कैपिटलिस्ट सौदे 1600 से अधिक हो गए।
स्टार्टअप की कुल फंडिंग में छोटे शहरों की स्टार्टअप को मिलने वाली फंडिंग में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि इस अवधि के दौरान 23 यूनिकॉर्न में से शीर्ष 9 स्टार्टअप देश के शीर्ष तीन महानगरों से इतर दूसरे शहरों से जुड़ी हैं। इससे यह बात भी जाहिर होती है कि फंडिंग अब छोटे शहरों में काम करने वाली स्टार्टअप के लिए भी की जा रही है।
आईवीसीए के अध्यक्ष रजत टंडन ने कहा, ‘कुछ वर्षों में वैकल्पिक निवेश परिसंपत्ति वर्ग ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। वर्ष 2022 एक ऐसा वर्ष था जिसने पीई/वीसी को अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया और इसी साल रिकॉर्ड स्तर पर पूंजी भी मिली।
वृद्धि के कुछ बेहतर विकल्पों के होने की वजह से ही भारत में वैश्विक निवेशकों का भरोसा और मजबूत होता है। उद्योग की दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाओं और अनिश्चितताओं से पार पाकर अवसरों की पहचान करने की उसकी क्षमता को लेकर हम आशावादी हैं।‘
हालांकि इस वर्ष यूनिकॉर्न बनने वाली कंपनियों की संख्या 2021 के मुकाबले लगभग आधी है। उस समय देश में 44 यूनिकॉर्न बने थे और उस वर्ष इनकी कुल संख्या 73 पर पहुंच गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में व्यापक आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंका बढ़ने से निवेश की गति प्रभावित हुई और देश में उद्यम पूंजी निवेश घट गया। प्रतिकूल परिस्थितियों के हावी होने से निवेश की रफ्तार, साल की दूसरी छमाही में ज्यादा प्रभावित हुई। बेन ऐंड कंपनी ने यह वार्षिक रिपोर्ट इंडियन वेंचर ऐंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) के साथ मिलकर तैयार की है।