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निर्यात प्रतिबंध और महंगे ईंधन से बढ़ेगा व्यापार घाटा!

Last Updated- December 11, 2022 | 6:22 PM IST

भारत से कृ​षि जिंसों और औद्योगिक धातुओं के तेजी से बढ़ते निर्यात पर सरकारी प्रतिबंध और कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस तथा कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2023 में देश का व्यापार घाटा और बढ़ने के आसार हैं।  देश का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 190.7 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के 102.6 अरब डॉलर के व्यापार घाटे की तुलना में 85.8 फीसदी अधिक था। इससे पहले 2012-13 में सबसे अधिक 190.3 अरब का व्यापार घाटा हुआ था, जिसका रिकॉर्ड पिछले वित्त वर्ष में टूट गया। भारत का आयात पिछले वित्त वर्ष के दौरान उससे साल भर पहले की तुलना में 55.3 फीसदी बढ़कर 612.6 अरब डॉलर रहा।
विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत से अधिक निर्यात होने वाली वस्तुओं पर आधिकारिक प्रतिबंधों और वैश्विक स्तर पर ईंधन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2023 में व्यापार घाटा और बढ़ेगा। जे एम इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के एमडी और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, ताप कोयले और उर्वरक जैसे भारत में अधिक आयात होने वाले माल की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं, जबकि निर्यात प्रतिबंधों और कम कीमतों की वजह से कृषि जिंसों और औद्योगिक ​धातुओं का निर्यात घट सकता है।’
पिछले महीने केंद्र सरकार ने देश से गेहूं का निर्यात रोक दिया था और चीनी के निर्यात पर कड़ी बंदिशें लगा दी थीं। इसके बाद सरकार ने इस्पात के निर्यात पर 15 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था ताकि इसका निर्यात घट जाए और देसी बाजार में इसकी कीमतें कम हो जाएं। बाजार में यह चर्चा भी चल रही है कि देश में मुद्रास्फीति ऊंची बनी रही तो अगले कुछ हफ्तों में चावल और कपास के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग सकता है। गेहूं, चीनी और लोहा एवं इस्पात जैसी जिन जिंसों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका वित्त वर्ष 2022 में वस्तु निर्यात में अहम योगदान रहा था। ऐसे में इन जिंसों के निर्यात पर रोक से विदेशी व्यापार प्रभावित होगा।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुताबिक भारत का वस्तु आयात वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में बढ़कर 182.9 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 168.1 अरब डॉलर रहा था। इसी अवधि में निर्यात बढ़कर 112.5 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इसके नतीजतन व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में बढ़कर 70.4 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 56.8 अरब डॉलर रहा था। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘इसकी वजह घरेलू आर्थिक गतिविधियों का सामान्य होना, जिंस कीमतों का ऊंचे स्तरों पर पहुंचना और मालभाड़ा तथा परिवहन लागत में इजाफा होना है।’
लोहा एवं इस्पात का वित्त वर्ष 2022 में भारत के निर्यात में तीसरा सबसे अधिक योगदान रहा। वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले यह 88.9 फीसदी बढ़कर 23 अरब डॉलर रहा।
कुल वस्तु निर्यात में इस जिंस का वित्त वर्ष 2022 में 5.4 फीसदी और पिछले वित्त वर्ष में 130 अरब डॉलर की बढ़ोतरी में 8.3 फीसदी हिस्सा रहा। पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात सालाना 2021 की तुलना में 44.6 फीसदी बढ़ा। यह वित्त वर्ष 2021 में 291.8 अरब डॉलर से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 421.9 अरब डॉलर रहा।
पेट्रोलियम उत्पादों (68.6 अरब डॉलर) और रत्नाभूषणों (39.3 अरब डॉलर) का निर्यात लोहे एवं इस्पात के निर्यात से अधिक रहा। लेकिन भारत कच्चे तेल और कीमती रत्नों और महंगी धातुओं का शुद्धआयातक बना हुआ है। इसके विपरीत भारत इस्पात का शुद्ध निर्यातक है।
इसी तरह चीनी का निर्यात वित्त वर्ष 2022 में साल भर पहले की तुलना में 61.6 फीसदी बढ़कर 5.1 अरब डॉलर रहा, जबकि गेहूं एवं चावल समेत खाद्यान्न का निर्यात 27.4 फीसदी बढ़कर 12.9 अरब डॉलर रहा।

First Published - June 11, 2022 | 12:36 AM IST

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