समुद्र के जरिये अर्थव्यवस्था को गति देने पर केंद्र सरकार के जोर के बीच विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने स्कूल-कॉलेजों में समुद्र पर केंद्रित Blue Curriculum शुरू करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि तीन तरफ से भारत को घेर रहा समुद्र आजीविका का बहुत बड़ा साधन बन सकता है, इसलिए नई पीढ़ी को बचपन से ही उसके बारे में पढ़ाकर रोजगार के नए साधन दिए जा सकते हैं।
राजधानी में 9 दिसंबर को ‘साउथ एशियन ब्लू करिकुलम फॉर मॉडर्न एजुकेशनः इंडिया एंड बिम्स्टेक राउंडटेबल’ सम्मेलन में भारत, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, भूटान, बांग्लादेश, तिब्बत जैसे बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनॉमी कोऑपरेशन) देशों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने भारत के लिए समुद्र की अहमियत बताते हुए पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की बात कही। उनका कहना था कि भारत का 95 फीसदी व्यापार समुद्र के रास्ते ही होता है और समुद्री उत्पादों से लाखों लोगों को आजीविका मिलती है। रोजगार और आर्थिक विकास के इतने बड़े साधन को बढ़ावा देने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में उसे शामिल करना फायदेमंद रहेगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार समुद्र के रास्ते अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई पहल कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर में ग्लोबल मैरिटाइम इंडिया समिट 2023 के दौरान समुद्र पर आधारित भारत की ब्लू इकॉनमी के लिए दीर्घकालिक खाका भी पेश किया। सरकार का जोर बेशक बंदरगाह विकसित करने, जहाज बनाने, पर्यटन बढ़ाने और समुद्र के रास्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने पर है मगर इसे मुमकिन करने के लिए कम उम्र से ही लोगों को समुद्र की अहमियत बताना जरूरी है।
सेंटर फॉर सिविल सोसायटी और फ्रेडरिक न्यूमन फाउंडेशन संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में दिल्ली सरकार के मुख्य शिक्षा सलाहकार शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार स्कूल पाठ्यक्रम में लगातार सुधार की कोशिश कर रही है, जो पिछले कई सालों से किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ब्लू करिकुलम तैयार करने की यह पहल वाकई सराहनीय है। ऐसा करिकुलम तैयार किया जाता है तो इसे दिल्ली में लागू करने की संभावनाएं जरूर खंगाली जाएंगी।’
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फ्रेडरिक न्यूमन फाउंडेशन के दक्षिण एशिया प्रमुख डॉ कर्स्टन क्लेन ने महासागरों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए आर्थिक विकास के माध्यम तलाशने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 7517 किलोमीटर लंबी तटरेखा, समुद्र तट के 150 किमी के दायरे में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी और 18 फीसदी आबादी 72 तटीय जिलों में होने के कारण भारत के लिए समुद्र की बड़ी अहमियत है। देश का 95 फीसदी व्यापार समुद्र के रास्ते होता है और सुरक्षा के लिहाज से भी समुद्र बहुत महत्त्वपूर्ण है।
डॉ क्लेन ने खास तौर पर तटीय राज्यों के युवाओं को समुद्री अर्थव्यवस्था में मौजूद व्यापक अवसर और जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियां बताने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज के लाखों छात्र कल अपनी आजीविका के लिए समुद्र से जुड़े व्यवसायों पर निर्भर हो सकते हैं। इसलिए उन्हें समुद्री संसाधनों के दोहन में संवेदनशीलता बरतना भी सिखाना होगा, जो Blue Curriculum के जरिये कारगर तरीके से हो सकता है।
सम्मेलन में एनसीईआरटी के शैक्षणिक सर्वेक्षण विभाग की प्रमुख डॉ इंद्राणी भादुड़ी, यूनेस्को की शिक्षा विशेषज्ञ जॉयसी पोअन, विश्व बैंक के सलाहकार संजय गुप्ता, सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एजूकेशन की निदेशक डॉ संस्कृति मेनन और विभिन्न शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया।