Global Employment Trends for Youth 2024: वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद आर्थिक वृद्धि और श्रम मांग में आई मजबूत उछाल से दुनिया भर में 15 से 24 वर्ष तक के युवाओं के लिए श्रम बाजार में स्थिति में सुधार आई है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की हालिया रिपोर्ट ‘ग्लोबल एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स फॉर यूथ 2024’ में इसका खुलासा हुआ है।
पिछले साल यानी साल 2023 में युवाओं की बेरोजगारी दर 13 फीसदी यानी करीब 6.49 करोड़ लोगों की थी। यह 15 वर्षों के निचले स्तर और वैश्विक महामारी से पहले वाले साल 2019 के 13.8 फीसदी से भी कम थी। इस साल या अगले कुछ वर्षों में इसके और गिरकर 12.8 फीसदी तक होने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लचीली आर्थिक वृद्धि दर और श्रम मांग में मजबूत उछाल से महामारी के बाद श्रम बाजार में प्रवेश करने वाले युवाओं को फायदा मिला है। साल 2023 में दुनिया भर में बेरोजगार युवाओं की कुल संख्या सन् 2000 की शुरुआत के बाद से सबसे कम देखा गया है।’ मगर इसमें सभी क्षेत्रों और लिंगों के आधार पर स्थिति एक जैसी नहीं है।
अरब राज्यों, पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युवाओं की बेरोजगारी दर साल 2019 के मुकाबले साल 2023 में अधिक थी। इसी तरह, महिलाओं के बीच युवा बेरोजगारी दर में कम गिरावट आई है। साल 2023 में युवा महिलाओं और पुरुषों की बेरोजगारी दर लगभग बराबर रही। युवा महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर 12.9 फीसदी और युवा पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर 13 फीसदी थी, जो वैश्विक महामारी के पहले वाले साल की तुलना में विपरीत है। तब युवा पुरुष बेरोजगारी दर अधिक थी।
इसके अलावा, रिपोर्ट में चेताया गया है कि रोजगार, शिक्षा और प्रशिक्षण में नहीं रहने वाले (NEET) युवाओं की संख्या चिंताजनक है। यह 20.4 फीसदी है और दुनिया भर में इस श्रेणी में हर तीन युवाओं में से दो महिलाएं हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ होंगबो ने बयान जारी कर कहा, ‘रिपोर्ट से हमें पता चलता है कि युवाओं के अवसर काफी हद तक असमान हैं। कई युवा महिलाएं, आर्थिक तौर पर विपन्न युवा और अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवा संघर्षरत हैं। शिक्षा और अच्छी नौकरियों में समान अवसर नहीं रहने से लाखों युवा अपने बेहतर भविष्य के अवसर से वंचित हो रहे हैं।’
इस बीच, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कामकाजी युवाओं में अच्छी नौकरियां हासिल करने की प्रगति भी कम है क्योंकि दुनिया भर में अधिकतर युवा कामगार अनौपचारिक रोजगार में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ उच्च और उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में ही आज अधिकतर युवा कामगार नियमित और सुरक्षित नौकरी कर रहे हैं, जबकि कम आय वाले देशों में हर चार में तीन युवाओं के पास अस्थायी वेतन वाली नौकरियां हैं अथवा वे स्वरोजगार कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार उच्च NEET दरें और अच्छी नौकरियों की अपर्याप्त वृद्धि से आज के युवाओं की चिंता बढ़ रही है, जो अब तक के सबसे शिक्षित युवा समूह से ताल्लुक रखते हैं।
होंगबो ने कहा, ‘जब दुनिया भर के युवाओं के पास अच्छी नौकरी नहीं है, जिससे वे असुरक्षित महसूस करते हैं और खुद का एवं अपने परिवार का जीवन बेहतर नहीं बना पाते हैं तो हममें से कोई भी स्थिर भविष्य की आशा नहीं कर सकता है।’
दीर्घकालिक रुझानों के मद्देनजर रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि आधुनिक सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्र में युवाओं के लिए नौकरियां सीमित हैं। साथ ही मध्यम आय वाले देशों में शिक्षित युवाओं की आपूर्ति के अनुरूप उच्च कौशल वाली नौकरियों की संख्या अपर्याप्त है।