सरकार महंगाई की आग को कुंद करने का जतन तो खूब कर रही है, लेकिन स्थितियां उनके अनुकूल नहीं बैठ रही हैं।
यही वजह है कि हफ्ते-दर-हफ्ते महंगाई की आग भड़कती ही जा रही है। 24 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 8.24 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि इससे पूर्व हफ्ते में यह 8.1 फीसदी थी। पूर्व वर्ष की समान अवधि में महंगाई दर 5.15 प्रतिशत थी।
सरकार इस बात से भी चिंतित है कि मुद्रास्फीति के ये आंकड़े सरकार की ओर से हाल ही में पेट्रोलियम उत्पादों में की गई बढ़ोतरी के बाद आए हैं। हालांकि पेट्रोलियम कीमतों की बढ़ोतरी का असर मुद्रास्फीति के इन आंकड़ों पर नहीं पड़ा है, लेकिन 20 जून को जारी होने वाले महंगाई के आंकड़ों में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का असर जरूर नजर आएगा। आशंका जताई जा रही है कि मुद्रास्फीति की दर 9 प्रतिशत के स्तर को पार कर जाएगी।
पेट्रोलियम सचिव भी इस बात को कह चुके हैं कि कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में करीब 0.5 फीसदी का उछाल आएगा। वैसे जानकारों का मानना है कि महंगाई दर दहाई अंक तक पहुंच सकती है। ऐसे में सरकार का चिंतित होना लाजिमी है। यही वजह है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने महंगाई थामने के लिए और कदम उठाने के संकेत दिए हैं। वहीं आरबीआई के गवर्नर ने भी संकेत दिया है कि वे मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए परंपरागत और गैर-परंपरागत, दोनों उपाय अपनाएंगे।
हालांकि कुछ राहत इस बात से मिली है कि आलोच्य सप्ताह के दौरान फल, सब्जी, मसालों के दाम में थोड़ी नरमी आई है, जबकि कुछ दिनों से इसमें काफी तेजी बनी हुई थी। 24 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान कच्चे रबर की कीमत चार फीसदी और मूंगफली की कीमत एक फीसदी बढ़ गई, जबकि कच्चे सिल्क की कीमत में एक फीसदी की गिरावट आई है। इस दौरान ईंधन, बिजली और लुब्रिकेंट सूचकांकों में कोई बदलाव नहीं आया।
विनिर्मित उत्पादों में आयातित खाद्य तेलों के दाम 6 फीसदी और मूंगफली तेल के दाम एक फीसदी बढ़ गए। समीक्षाधीन सप्ताह में न्यूजप्रिंट की कीमत में 8 फीसदी का उछाल आया, जबकि सफेद प्रिंटिंग पेपर की कीमत एक फीसदी बढ़ गई। समीक्षाधीन सप्ताह में बिजली उपकरणों में भी करीब दो फीसदी का उछाल आया है। वाहनों के कल-पुर्जों की कीमतों में भी तकरीबन 6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
महंगाई से चिंतित वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की सरकारों की तरह हम भी मुद्रास्फीति की समस्या से जूझ रहे हैं। वैसे हमने इसे नियंत्रित करने के लिए राजकोषीय, मौद्रिक और प्रशासनिक कदम उठाए हैं। जरूरत पड़ी तो आगे और कदम भी उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कच्चे तेल और उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही कीमतों से उत्पन्न समस्या को जनता समझती है। इसलिए घबराने की बात नहीं है।
किसने डाला आग में घी
खाद्य तेल, मूंगफली, रबर, न्यूजप्रिंट, वाहनों के कलपुर्जे
कहां मिली थोड़ी राहत
फल, सब्जी, मसाले, कच्चा सिल्क, ऊर्जा, लुब्रिकेंट
आगे क्या होगा
पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि महंगाई की आग को और हवा देगी। महंगाई दर दहाई अंक तक पहुंचने की आशंका