वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले चार साल में देसी अर्थव्यवस्था में नरमी और दो साल तक कोरोना महामारी की मार के बीच बजट पेश किया था। 1 फरवरी को जब वह पांचवां बजट पेश करेंगी तो भी ऐसी ही अन्य चुनौतियां होंगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत ज्यादा चमकता हुआ सितारा है मगर इसके अधिकतर बड़े व्यापारिक भागीदारों जैसे पश्चिमी देशों और चीन को व्यापक नरमी तथा कहीं-कहीं मंदी से दोचार होना पड़ रहा है। इन अड़चनों के बावजूद देश की वृद्धि दर करीब 6 फीसदी के दायरे में बरकरार रखना ही वित्त मंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च के बोझ के बीच सार्वजनिक निवेश और कर राजस्व बढ़ाने तथा राजकोषीय घाटा कम करने की रूपरेखा का भी पालन करना होगा।
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और 15वें वित्त आयोग के सदस्य अशोक लाहिड़ी ने कहा, ‘लघु अवधि के उपायों को दीर्घकालिक विकास की राह में बाधा नहीं बनना चाहिए। चुनौतियां गंभीर हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी देखी जा रही है। इस लिहाज से यह तय करना अहम है कि हमें वृद्धि पर कितना और मुद्रास्फीति पर कितना ध्यान देना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को कर सुधार, खर्च की प्राथमिकता नए सिरे से तय करने और राजकोषीय घाटा कम करने का काम समझदारी के साथ करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि इस साल करीब एक तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में आ सकती है। इस बीच विश्व बैंक ने जनवरी 2023 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस साल वैश्विक वृद्धि में तेज गिरावट आने का अनुमान है और इसकी वृद्धि दर करीब तीन दशक में सबसे कम होगी।
विश्व बैंक के अनुसार 2023 में वैश्विक वृद्धि दर घटकर 1.7 फीसदी रह सकती है, जबकि करीब छह महीने पहले इसके 3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि 2023-24 के आम बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.5 से 6 फीसदी के बीच समेटने का लक्ष्य रखा जा सकता है और मंगलवार को पेश होने वाली 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
भारतीय स्टेट बैंक में मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच राजकोषीय घाटा कम रखना 2023-24 के बजट में सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।’
राजस्व के मोर्चे पर सरकार वित्त वर्ष 2023 में दमदार कर प्राप्तियों के साथ वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य में नरमी दिखा सकती है। वित्त वर्ष 2023 में सरकार को प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने की उम्मीद है, जो संभवत: 1 से 1.5 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट अनुमान में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12 से 14 फीसदी की वृद्धि दिख सकती है। वित्त वर्ष 2023 के बजट अनुमान में 14.2 लाख करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर संग्रह की बात कही गई थी।
सरकार दो साल पुरानी वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था को आकर्षक बना सकती है। 2.5 लाख रुपये से कम आय वाले व्यक्ति से आयकर नहीं वसूला जाता है। मगर वैकल्पिक व्यवस्था अपनाने वाले करदाताओं की संख्या बहुत कम है।
बजट में निजी विमान, महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स, जेवरात समेत करीब 40 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है। जहां तक विनिवेश का सवाल है तो सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए 65,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य का करीब आधा हासिल कर चुकी है।
सूत्रों के अनुसार सरकार वित्त वर्ष 2024 के लिए विनिवेश लक्ष्य 60,000 करोड़ रुपये से कम रख सकती है। साथ ही वह आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री, कॉनकॉर, शिपिंग कॉरपोरेशन, बीईएमएल और एनएमडीसी के नगरनार संयंत्र के निजीकरण जैसे लंबित सौदों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।