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रेलवे की माल ढुलाई दरें 7 साल से नहीं बदलीं! समिति ने जताई चिंता

सड़क परिवहन से प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए दरों को तर्कसंगत बनाने की सिफारिश

Last Updated- December 17, 2025 | 8:41 AM IST
Indian Railways

संसद की एक समिति ने मंगलवार को कहा कि रेल मंत्रालय को अपनी माल ढुलाई दरों का हर साल व्यापक आकलन करना चाहिए। इसके अलावा, सड़क परिवहन तथा अन्य परिवहन साधनों से प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने के लिए दरों को तर्कसंगत बनाना चाहिए।

रेलवे की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘समिति ने पाया कि माल ढुलाई दरों में अंतिम बार साल 2018 में बदलाव किया गया था और तब से दरें वही चली आ रही हैं। यह दृष्टिकोण माल ढुलाई की मात्रा बढ़ाना, वित्तीय तंगी का प्रबंधन करना, प्रतिस्पर्धी मूल्य बनाए रखना और मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप ढलना जैसे कई उद्देश्यों को संतुलित करने के रणनीतिक इरादे को दर्शाता है।’

समिति ने रेलवे से वस्तुवार प्रतिस्पर्धा, मौजूदा बाजार मांग और परिचालन लागत को ध्यान में रखते हुए माल ढुलाई दरों का हर साल मूल्यांकन करने का आग्रह किया। समिति ने कहा, ‘इस तरह की समीक्षा के आधार पर समिति सड़क परिवहन के मुकाबले प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए माल ढुलाई दरों को तर्कसंगत बनाने की सिफारिश करती है।’

आंध्र प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सीएम रमेश की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी सिफारिश की कि मंत्रालय को गैर किराया राजस्व बढ़ाने के तरीके तलाशने चाहिए। समिति ने खासकर ट्रेन के डिब्बों और मालगाड़ी के वैगन पर विज्ञापन को राजस्व जुटाने की व्यवहारिक पहल के रूप में गंभीरता से आगे बढ़ाने का सुझाव दिया है।

रेल मंत्रालय ने कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम जारी रखते हुए 2031 तक 30 करोड़ टन माल ढुलाई के लक्ष्य का प्रस्ताव किया है। मंत्रालय ने परिचालन लागत में वृद्धि के बावजूद पिछले सात वर्षों में माल ढुलाई दरों में बदलाव न करने पर कहा कि यह भारतीय रेलवे की रणनीति है कि अधिक माल ढुलाई को प्रोत्साहित करने, वित्तीय बाधाओं का प्रबंधन करने, प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप प्रतिक्रिया देने के बीच संतुलन बनाए रखा जाए।

First Published - December 17, 2025 | 8:41 AM IST

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