मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि जब वैश्वीकरण से लाभ नहीं मिल रहा हो तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति देने के लिए भारत को घरेलू कारकों पर भरोसा करने की जरूरत है और इसके लिए विनियमों का बोझ कम करना होगा। आर्थिक समीक्षा 2024-25 पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा, ‘विनियम से छोटे व्यवसायों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। नियम-कायदे कम करने से न केवल कारोबार में आसानी होती है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं।’
आपूर्ति के लिए किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम का उल्लेख करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कई उच्च और मध्यम तकनीक के क्षेत्रों में चीन की अच्छी और प्रभावी पैठ है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी उसके बाद वाले 18 देशों की कुल हिस्सेदारी से शायद ज्यादा होगी। इससे उसे रणनीतिक बढ़त और बहुत सारे फायदे होते हैं।’
नागेश्वरन ने इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह से दुनिया भर के देश घरेलू प्राथमिकता की दिशा में काम कर रहे हैं, उससे वैश्वीकरण बीते जमाने की बात हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘कई उत्पाद क्षेत्रों में आपूर्ति के लिए एक स्रोत पर निर्भरता से जुड़े जोखिम से भारत को आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, कीमतों में उतार-चढ़ाव और मुद्रा जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि भारत के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में नरमी को 2023 के बाद से वैश्विक स्तर पर वास्तविक आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेज वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात के दौरान भी उसे वृद्धि दर को कम से कम इस स्तर पर कायम रखने की जरूरत है। नागेश्वरन ने कहा, ‘हम अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए वृद्धि दर के आंकड़ों को बढ़ा सकते हैं।’
आर्थिक समीक्षा 2024-25 में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी के बीच रह सकती है। नागेश्वरन ने कहा कि वृद्धि दर के अनुमान में कच्चे तेल के परिदृश्य को ध्यान में नहीं रखा गया है इसलिए इसके दाम में तेजी से निकट भविष्य में वृद्धि को कोई बड़ा जोखिम की आशंका नहीं है।
राष्ट्र निर्माण में निजी क्षेत्र की भूमिका पर चर्चा करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि कंपनियों के लाभ और वेतन वृद्धि के बीच काफी असमानता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था में शुमार होने के लिए सामाजिक रूप से जिम्मेदार निजी क्षेत्र की जरूरत होगी।
नागेश्वरन ने कहा, ‘टिकाऊ मांग और मध्यम से लंबी अवधि में कंपनियों की आय और लाभ में बढ़ोतरी के लिए वेतन वृद्धि को लाभ में इजाफे के अनुरूप करने की जरूरत है।’ उन्होंने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के लाभ और सामाजिक मूल्यों में संतुलन साधने की आवश्यकता है।
लार्सन ऐंड टुब्रो के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन के हफ्ते में 90 घंटे काम करने के विचार पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी मगर उन्होंने कहा कि प्रबंधकों और सहकर्मियों के बीच बेहतर रिश्ते हों। अधिक काम और काम पर गर्व मानसिक स्वास्थ्य में काफी सुधार करते हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य कमजोर होने से कार्यदिवसों की संख्या और समग्र उत्पादकता घट जाती है।