चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून की अवधि खास तौर पर विरोधाभासों से भरी रही। इसी अवधि में कोरोनावायरस के मामलों में उछाल आई तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय कंपनियों ने रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया। इसी अवधि के दौरान केंद्र सरकार ने रिकॉर्ड स्तर पर राजस्व अर्जित किए। लेकिन 17 राज्यों पर बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि यही बात राज्य सरकारों के लिए सही नहीं है। सच्चाई तो यह है कि राज्य सरकारें राजस्व के मामले में अब भी दो वर्ष पहले के स्तर पर पहुंचने के लिए जूझ रही हैं।
वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 17 राज्यों ने 3.11 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले दोगुने के करीब है। लेकिन राज्यों को वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में 3.38 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। ये आंकड़े उनके अपने कर राजस्वों से संबंधित हैं।
इन 17 राज्यों में से केवल 3 राज्यों तेलंगाना, पंजाब और हरियाणा ने दो वर्ष पहले की तुलना में अधिक कर राजस्व हासिल किया है जबकि गुजरात और राजस्थान में यह सपाट स्तर पर रहा। इनमें से 12 राज्यों का राजस्व अब भी दो वर्ष पहले के मुकाबले कम है।
इसके उलट इसी दो वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार का सकल कर राजस्व 4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 5.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी भी शामिल है। राज्यों का अपना कर राजस्व दो वर्ष पहले की तुलना में 8 फीसदी कम रह जाने और केंद्र द्वारा संग्रहित कर में उनकी हिस्सेदारी दो वर्ष पहले की तुलना में 23 फीसदी घट जाने के बावजूद उन्होंने राजस्व खर्च के मोर्चे पर समझौता नहीं किया। राजस्व खर्च या मौजूदा मदों पर खर्च जैसे कि प्रशासनिक खर्चे, वेतन और पेंशन और सबसे महत्त्वपूर्ण, कल्याण योजनाओं पर खर्च इन दो वर्षों में 14 फीसदी बढ़ चुका है।
महामारी के असर को कम करने के लिए पिछले वर्ष भी केंद्र के साथ राज्य सरकारों ने राजस्व खर्च में इजाफा किया था। यही रुख इस वर्ष भी जारी है। लेकिन इसकी तपिश पूंजीगत व्यय या सार्वजनिक खर्च पर महसूस किया जा रही है। सार्वजनिक खर्च के तहत सड़कों, मशीनरी और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं जैसी उत्पादक संपत्तियों पर खर्च किया जाता है।
वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में पंजीगत व्यय 54,000 करोड़ रुपये रहा जो कि दो वर्ष पहले की तुलना में सपाट स्तर को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में यह घटकर 24,000 करोड़ रुपये रह गया था। ऐसा इसलिए हुआ था कि महामारी के कारण बनी आपात स्थिति ने सरकार की खर्च प्राथमिकताओं को बदल दिया था। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय में दो वर्ष पहले के मुकाबले 77 फीसदी और एक वर्ष पहले के मुकाबले 27 फीसदी का इजाफा किया।