facebookmetapixel
Upcoming NFO: पैसा रखें तैयार! दो नई स्कीमें लॉन्च को तैयार, ₹100 से निवेश शुरूDividend Stocks: 100% का तगड़ा डिविडेंड! BSE 500 कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट इसी हफ्तेUpcoming IPOs: यह हफ्ता होगा एक्शन-पैक्ड, 3 मेनबोर्ड के साथ कई SME कंपनियां निवेशकों को देंगी मौकेरुपये पर हमारी नजर है, निर्यातकों की सहायता लिए काम जारी: सीतारमणमहंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारीMarket Outlook: महंगाई डेटा और ग्लोबल ट्रेंड्स तय करेंगे इस हफ्ते शेयर बाजार की चालFPI ने सितंबर के पहले हफ्ते में निकाले ₹12,257 करोड़, डॉलर और टैरिफ का असरMCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असर

केंद्रीय मदद के बावजूद पूंजीगत व्यय में पीछे रहे राज्य

Last Updated- January 18, 2023 | 11:49 PM IST
Six steps to improve your credit or CIBIL score, check steps below

कोविड-19 महामारी की वजह से निजी क्षेत्र के निवेश की योजनाएं प्रभावित हुई हैं, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र पर पूंजीगत व्यय का पूरा भार आ गया है। पिछले कुछ साल से अर्थव्यवस्था में नए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ा है। वहीं चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के समर्थन के बावजूद कई राज्यों ने पूंजीगत व्यय में सुस्ती दिखाई है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने पिछले महीने कहा था कि पिछले 10 साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र का पूंजीगत निवेश 6.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 21.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह ऐसे समय में हुआ है, जबकि वित्तीय क्षेत्र की कंपनियां अभी भी अपने बही-खाते को दुरुस्त करने में लगी हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र से नागेश्वरन का मतलब केंद्र व राज्य सरकारों और सरकारी उद्यमों से है। चालू वित्त वर्ष 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय आवंटन की घोषणा की थी, जो वित्त वर्ष 2022 के बजट अनुमान से 35.4 प्रतिशत ज्यादा था। इसमें राज्यों को पूंजीगत व्यय की जरूरतें पूरी करने के लिए दिया जाने वाला 1 लाख करोड़ रुपये का ब्याज रहित दीर्घावधि ऋण शामिल है। राज्यों को ब्याजरहित ऋण देने के पीछे यह विचार था कि राज्यों को परियोजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए क्योंकि पूंजीगत व्यय का प्रशासनिक या योजनाओं पर व्यय की तुलना में ज्यादा असर होता है।

बहरहाल 10 बड़े राज्यों (सकल राज्य घरेलू उत्पाद के हिसाब से) के बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है ज्यादातर राज्यों ने अब तक पिछले साल की तुलना में वित्त वर्ष 23 में कम खर्च किया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 23 (अप्रैल-नवंबर) के पहले 8 महीनों के दौरान 10 बड़े राज्यों में से 7 राज्यों ने कुल मिलाकर या पूरे साल के पूंजीगत व्यय के प्रतिशत के हिसाब से देखने पर ज्यादा पूंजीगत व्यय नहीं किया है। केंद्र सरकार के अतिरिक्त समर्थन और केंद्र के नीति निर्माताओं द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाने को लेकर लगातार संदेश देने के बावजूद कम खर्च किया गया है।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऐसा कई वजहों से हुआ है। इसमें एक वजह यह भी है कि तेजी से पूंजीगत व्यय बढ़ाने की राज्यों की क्षमता नहीं है और 2022 और 2023 में राज्यों में हुए चुनाव भी एक वजह है, जिसके कारण राज्यों ने योजनाओं और सब्सिडी पर व्यय करने में ज्यादा ध्यान दिया। ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह क्षमता से जुड़ा मसला है। राज्यों के पास पूंजीगत व्यय करने का कोई ढांचा नहीं है कि वे ऐसा कर सकें। इसलिए वे पूंजीगत व्यय बढ़ाने में सुस्त हैं।’

यह भी पढ़ें: बंदरगाह का शुल्क तय करने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया न्यायिक बोर्ड

चार्ट से पता चलता है कि 10 बड़े राज्यों में केवल 3 राज्यों गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने अप्रैल-नवंबर के दौरान हर हिसाब से ज्यादा खर्च किया है। इन 3 राज्यों ने राज्यों ने पिछले साल की समान अवधि और पूरे साल के खर्च के लक्ष्य दोनों हिसाब से ज्यादा खर्च किया है। श्रीवास्तव ने कहा कि यह भी हो सकता है कि कई राज्यों में केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय अधिक किया हो और बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में धन लगाया हो।

उत्तर प्रदेश ने इस साल कुल खर्च के हिसाब से पिछले साल की तुलना में ज्यादा पूंजीगत व्यय जारी किया है, जबकि लक्ष्य के प्रतिशत के हिसाब से नहीं बदला है। महाराष्ट्र ने अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान ज्यादा खर्च किया है, लेकिन बजट अनुमान के प्रतिशत के हिसाब से व्यय कम है।

First Published - January 18, 2023 | 11:40 PM IST

संबंधित पोस्ट