तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के खेप की भारत की तरफ से हाजिर मांग घटने के आसार हैं। एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स ने गुरुवार को बताया कि आयातकों की दो वर्ष से ज्यादा की अवधि के मध्यम और दीर्घावधि समझौते की ओर रुख करने के कारण हाजिर मांग गिर सकती है। ऐसे कुछ सौदे अगले महीने से भी लागू हो सकते हैं।
एसऐंडपी ने बताया कि लंबी अवधि के समझौतों पर अधिक आश्रित होना इस समय गलत निर्णय भी हो सकता है। इसका कारण यह है कि नई आपूर्ति बढ़ने से हाजिर मूल्य और गिर सकते हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय खरीदार अधिक महंगे अनुबंध वाली एलएनजी को खरीदेंगे।
नए आपूर्ति और खरीद समझौते अप्रैल से लागू होने शुरू होंगे। इसमें सरकारी कंपनी गेल व कतर एनर्जी में हर महीने एक खेप का पांच वर्षीय समझौता और सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) व अबू धाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के बीच साल में कम से कम छह खेप का पांच वर्षीय समझौता भी शामिल हैं। एसऐंडपी ने बताया, ‘इन समझौतों के तहत मूल्य हालिया हाजिर मूल्य करीब 13डॉलर/एमएमबीटीयू से सस्ता है लेकिन 2027 में हाजिर मूल्य और गिरने व अधिक आपूर्ति होने की स्थिति में यह महंगा सौदा साबित होगा।’
एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स ने पहले बताया था कि इन दो समझौतों का मूल्य हेनरी हब कीमत के 115-121 प्रतिशत की गिरावट के समान है और इसका स्थिर मूल्य 5.6 – 5.8 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) है।