सरकारी बंदरगाहों से दिसंबर में ढुलाई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.4 प्रतिशत बढ़ी है। इसके पहले 3 महीनों तक वृद्धि स्थिर रही थी। दिसंबर के आंकड़ों से मजबूत वापसी के संकेत मिलते हैं, जहां अब तक वृद्धि दर उम्मीद से ज्यादा सुस्त थी।
देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों से इस माह के दौरान 695 लाख टन ढुलाई हुई है। यह चालू वित्त वर्ष के दौरान का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह पिछले 3 महीनों की तुलना में भी 80 लाख टन अधिक है, जो सितंबर से 610 लाख टन पर अटका था।
यह कोविड 19 के बाद प्रमुख बंदरगाहों द्वारा एक महीने के दौरान सबसे ज्यादा ढुलाई है। कुल मिलाकर दिसंबर तक प्रमुख बंदरगाहों पर ढुलाई दिसंबर तक बढ़कर 5,760 लाख टन पहुंच गई है, जो पिछले साल की तुलना में 9 प्रतिशत ज्यादा है।
अब तक इस वित्त वर्ष में ढुलाई में वृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान कोयले का रहा है। इस साल की शुरुआत में देश भर में कोयले के संकट की वजह से कोयले का आय़ात बढ़ा है। अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कहा है कि कोयले की ढुलाई में मौजूदा तेजी की वजह रेल-समुद्र-रेल (आरएसआर) मोड की वजह से हुआ है, जिसका इस्तेमाल ताप बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने में किया गया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इसके पहले खबर दी थी कि बिजली मंत्रालय ने गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब के ताप बिजली संयंत्रों के साथ एनटीपीसी को आदेश दिया है कि वे कुल कोयला की अपनी जरूरत का 10 से 15 प्रतिशत तटीय शिपिंग के माध्यम से मंगाएं।
इक्रा में वाइस प्रेसीडेंट और सेक्टर हेड साई कृष्णा ने कहा, ‘दिसंबर महीने में लौह अयस्क की ढुलाई में पिछले साल की तुलना में 42 प्रतिशत वृद्धि हुई है। नवंबर में जिंसों पर विभिन्न निर्यात शुल्कों को खत्म किए जाने के बाद ढुलाई में बढ़ोतरी हुई है, जो पहले कम थी।’
यह भी पढ़ें: FY24 में कोयला उत्पादन एक अरब टन से ज्यादा रहने का लक्ष्य: सरकार
कुल मिलाकर वित्त वर्ष 23 में लौह अयस्क की ढुलाई पिछले साल की तुलना में अभी 20 प्रतिशत कम है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आगे इन आंकड़ों में तेजी आएगी। बहरहाल थर्मल कोयले की ढुलाई वित्त वर्ष 23 में 35 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि कोकिंग कोल की ढुलाई 16 प्रतिशत बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोकिंग कोल की ढुलाई की मात्रा भी लौह अयस्क उत्पादन बढ़ने के साथ बढ़ सकती है।