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सेवा गतिविधियां 11 वर्ष के शीर्ष पर

Last Updated- December 11, 2022 | 5:47 PM IST

भारत की सेवा गतिविधियां जून महीने में पिछले 11 साल में सबसे तेजी से बढ़ी हैं। एक निजी सर्वे से पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों के गति पकड़ने, नई मांग बढ़ने, महामारी के प्रतिबंध वापस लेने की वजह से यह तेजी आई है।
एसऐंडपी ग्लोबल की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (सेवा पीएमआई) मई महीने के 58.9 से बढ़कर जून में 59.2 हो गया है। यह अप्रैल 2011 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। 50 अंक से ऊपर विस्तार व इससे कम संकुचन का संकेतक है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सेवा फर्मों ने पाया कि पहली वित्तीय तिमाही के आखिरी महीने में नए कार्य में उल्लेखनीय तेजी आई है। यह वृद्धि दर पिछले 11 साल में सबसे ज्यादा तेजी है। सर्वे में शामिल सदस्यों ने मांग मजबूत होना, ग्राहक आधार बढ़ना और बेहतर विपणन को इसकी वजह बताई है।
बहरहाल शुक्रवार को जारी विनिर्माण पीएमआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मई में विनिर्माण गतिविधियां 54.6 पर थीं, जो जून में 53.9 पर पहुंच गईं। महंगाई की चिंता और उत्पादन में धीमी वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है।
फर्मों ने उम्मीद जताई है कि सेवा गतिविधियों में रिकवरी अगले 12 महीनों तक बरकरार रहेगी। लेकिन कीमतों के दबाव को लेकर चिंता बरकरार है और इसकी वजह से कारोबारी भरोसा सीमित हुआ है। इनपुट लागत में बढ़ोतरी जारी है और यह ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि यह पिछले 3 महीने का सबसे धीमा स्तर है।
कुछ कंपनियों ने कहा है कि क्षमता पर दबाव के कारण जून में अतिरिक्त कर्मचारी रखने पड़े हैं, लेकिन बड़ी संख्या (94 प्रतिशत) में कंपनियों ने कहा कि उनके कर्मचारियों की संख्या यथावत है। कुल मिलाकर सेवा क्षेत्र के रोजगार में मामूली बढ़ोतरी हुई है, जबकि मई में कमी आई थी।
एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि सेवा के लिए बढ़ी मांग को तेज आर्थिक विस्तार से समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, ‘उपभोक्ता सेवाओं में जून में आउटपुट और नए ऑर्डर दोनों में ही मजबूत वृद्धि हुई है। वृद्धि दर हर तरफ तेज है। लगातार बढ़ रही महंगाई से सेवा प्रदाता चिंतित हैं और वे अपने अनुमान को लेकर सावधान रहे। कुल मिलाकर आगामी 12 महीनों में कारोबारी गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘मध्य से उच्च आय वर्ग के परिवार संपर्क आधारित सेवाओं पर व्यय को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो महामारी के दौरान इससे बच रहे थे।’
अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाने वाले तमाम पेशेवरों ने हाल के महीनों में भारत की वृद्धि का अनुमान घटा दिया है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 के लिए अपने पहले के 7.2 प्रतिशत वृद्धि दर को बरकरार रखा है।

First Published - July 5, 2022 | 11:48 PM IST

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