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RBI MPC Meet 2024: मॉनिटरी पॉलिसी तय करते समय फूड इंफ्लेशन को नहीं कर सकते नजरअंदाज- गवर्नर शक्तिकान्त दास

रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें तय करते समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।

Last Updated- August 08, 2024 | 6:32 PM IST
Retail Inflation

RBI MPC Meet 2024: मानक ब्याज दर तय करते समय खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने के सुझावों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति बनाते समय इस पहलू को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

उन्होंने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद कहा कि कुल उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में खाद्य का भारांक 2011-12 में 46 प्रतिशत किया गया था और इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) इसका विश्लेषण कर रहा है।

रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें तय करते समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। दास ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) उच्च खाद्य मुद्रास्फीति को क्षणिक होने पर नजरअंदाज कर सकती है लेकिन लगातार ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के मौजूदा माहौल में एमपीसी ऐसा करने का जोखिम नहीं उठा सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एमपीसी को लगातार अधिक खाद्य मुद्रास्फीति से होने वाले व्यापक प्रभावों या दूसरे दौर के प्रभावों को रोकने और अब तक किए गए लाभ को बनाए रखने के लिए सतर्क रहना होगा।’’

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने खाद्य मुद्रास्फीति को दर निर्धारण की प्रक्रिया से बाहर रखने की वकालत करते हुए कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है, जो आपूर्ति पक्ष के दबावों से तय होती हैं।

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दास ने अपने लिखित बयान में कही गई बातों पर विस्तार से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन यह जरूर कहा कि एनएसओ सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर सीपीआई में खाद्य का भार बदल सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सीपीआई समूह वर्ष 2011-12 के आंकड़ों पर आधारित है और कोविड महामारी के कारण इसकी समीक्षा नहीं की जा सकी।

दास ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति के लिए आपूर्ति पक्ष की प्रतिक्रिया पर सरकार के साथ नियमित संपर्क में है और बाढ़ एवं भारी बारिश पर भी चर्चा करता है। उन्होंने कहा कि केरल के एक जिले और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से कीमतों पर कुछ असर पड़ेगा, लेकिन कुल मिलाकर मॉनसून लंबी अवधि के औसत से सात प्रतिशत अधिक है जिसका खाद्य मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

अमेरिका में बेरोजगारी के आंकड़ों से पैदा हुई चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि अमेरिका में मंदी के बारे में बात करना बहुत जल्दबाजी होगी। इसके साथ ही दास ने कहा कि रिजर्व बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्रोतों से आने वाले सभी आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए काम करेगा।

First Published - August 8, 2024 | 6:32 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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