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रेलवे सुरक्षा में करेगी सुधार, माल ढुलाई कॉरिडोर को मिलेगा ‘कवच’

इस समय माल ढुलाई गलियारे में सुरक्षा के मसले या दुर्घटनाएं बहुत मामूली हैं

Last Updated- June 16, 2023 | 10:55 PM IST
Railways

भारतीय रेलवे में बढ़ती सुरक्षा चिंता को देखते हुए केंद्र सरकार ने पूरे समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डीएफसी) ट्रैक नेटवर्क पर अत्याधुनिक टक्कर रोधी व्यवस्था ‘कवच’ लगाने की योजना बनाई है। भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (डीएफसीसी) के प्रबंध निदेशक आरके जैन ने यह जानकारी दी।

जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘रेलवे की शीर्ष प्राथमिकताओं में सुरक्षा शामिल है। हम माल ढुलाई गलियारों की सुरक्षा को लेकर सचेत हैं। इस समय माल ढुलाई गलियारे में सुरक्षा के मसले या दुर्घटनाएं बहुत मामूली हैं। अब हमारी योजना डीएफसी ट्रैक नेटवर्क पर भी कवच स्थापित करने की है।’

दो समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर, पश्चिमी और पूर्वी पर करीब 77 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, जो करीब 2,200 किलोमीटर की हैं। इस समय डीएफसी के एक भी रूट किलोमीटर पर कवच नेटवर्क नहीं लगाया गया है क्योंकि केंद्र सरकार इस स्वदेशी रेल टक्कर रोधी व्यवस्था को यात्री रेल चलने वाली पटरियों पर लगाने पर ध्यान दे रही है।

रेलवे ने 31 मार्च तक दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) के 1,465 रूट किलोमीटर पर टक्कर रोधी व्यवस्था स्थापित की है और आने वाले साल में इसे 3,000 रूट किलोमीटर पर लगाने की योजना है।

रिसर्च डिजाइन ऐंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित की इस व्यवस्था को लगाने में करीब 50 लाख रुपये प्रति रूट किलोमीटर लागत आती है। अगर सिगनल पास्ड ऐट डेंजर (एसपीएडी) की स्थिति आती है और टक्कर की संभावना होती है तो लोको पायलट की जरूरत के बगैर ट्रेन के ब्रेक स्वतः लग जाते हैं।

हाल में बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद सुरक्षा की जरूरत सामने आई है। बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से लड़ गई और उसके बाद एक और यात्री रेल उससे आकर टकरा गई। इस दुर्घटना में 289 लोगों की मौत हो गई और करीब 1,000 लोग घायल हुए थे।

पूर्वी डीएफसी में 2022 में पटरी से ट्रेन उतरने की दो घटनाएं हुईं। हालांकि सरकार के अधिकारियों ने कहा कि ये घटनाएं मामूली हैं, लेकिन इस पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि गलियारों के पूरा होने पर माल ढुलाई पूरी तरह से डीएफसी से होने लगेगी और इससे नेटवर्क पर दबाव रहेगा और सुरक्षा को लेकर जोखिम ज्यादा होगा।

भारतीय रेलवे नेटवर्क में मालगाड़ियां अक्सर दुर्घटनाग्रस्त होती हैं, लेकिन इन्हें यात्री रेलगाड़ियों की तरह गंभीरता से नहीं लिया जाता है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस महीने की शुरुआत में खबर दी थी कि वित्त वर्ष 23 में रेल दुर्घटनाओं में 37 प्रतिशत वृद्धि हुई है।अप्रैल की समीक्षा बैठक में मालगाड़ियों की सुरक्षा सामने लाई गई थी। इस बैठक में रोलिंग स्टॉक का संचालन करने वाले लोगों के काम के घंटे अधिक होने के मसले को रेलवे बोर्ड के सामने रखा गया था।

जैन ने कहा कि डीएफसी पर एक कर्मचारी की शिफ्ट इस समय 8 घंटे की होती है और रेलवे ने इसमें कमी लाने की योजना बनाई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि रेल पायलटों की थकान की वजह से कोई दुर्घटना न होने पाए।

पश्चिमी गलियारे में सुरक्षा व्यवस्था के तहत डीएफसीसी ने लोको पायलटों को पैनिक बटन वाले हैंडसेट दिए हैं। दुर्घटना या ट्रेन के पटरी से उतरने की स्थिति में लोको पायलट बटन दबाएगा, जिससे उस इलाके की सभी ट्रेनों को रेट अलर्ट संदेश पहुंच जाएगा। इसके बाद कंट्रोल रूम दुर्घटना स्थल के आसपास की सभी ट्रेनों को रोक देगा।

उद्योग के हिसाब से मालगाड़ियों की दुर्घटना को रोकना केंद्र सरकार की नैशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अहम है। निजी क्षेत्र के उद्योगों की अक्सर शिकायत रहती है कि रेल नेटवर्क में उनके कार्गो की सुरक्षा कम है, जिसकी वजह से औद्योगिक सामान और तैयार उपभोक्ता वस्तुओं की ढुलाई सड़क परिवहन से करनी होती है, जो ज्यादा प्रदूषणकारी और खर्चीली व्यवस्था है।

First Published - June 16, 2023 | 10:55 PM IST

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