नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने छत्तीसगढ़ में हाल में संपन्न सौर संचालित सिंचाई पंपों की निविदा पर सवाल उठाए हैं। यह निविदा केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कुसुम योजना के तहत संपन्न की गई है। मंत्रालय का कहना है कि निविदा में ऊंची बोलियां प्राप्त हुईं, जिसके चलते खजाने को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
छत्तीसगढ़ राज्य नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (सीआरईडीए) को लिखे गए एक पत्र में एमएनआरई ने उच्च बोलियों को लेकर चिंता जताई है, हालांकि निविदा में केंद्र की बोली की जैसी ही तकनीकी निर्देशों का इस्तेमाल किया गया है। एमएनआरई ने कहा कि छत्तीसगढ़ की निविदा में ईईएसएल द्वारा आयोजित निविदा की तुलना में 40 प्रतिशत ज्यादा उच्च बोली हासिल हुई है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस पत्र को देखा है।
इस सिलसिले में सीआरईडीए कार्यालय और सीईओ से बातचीत करने की कवायदों की कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि विभाग का निजी कंपनियों द्वारा लगाई गई बोली पर कोई नियंत्रण नहीं है।
एमएनआरई के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि देश भर में सौर पंपों की कीमत का मानकीकरण किया जाए। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे मंत्रालय द्वारा तैयार की गई मानक निविदा को स्वीकार करें। अधिकारी ने कहा, ‘कुछ राज्य अपनी निविदा की पेशकश पसंद करते हैं, जबकि कुछ ईईएसएल की निविदा के माध्यम से खरीदते हैं। लेकिन हमने राज्यों से कहा है कि वे निविदा की उन्हीं शर्तों का पालन करें। किसानों के हित में पंप की लागत धीरे धीरे कम होनी चाहिए।’
सीआरईडीए ने इस साल मई में 20,000 सौर पंपों के लिए निविदा आमंत्रित की थी। इस निविदा में डिजाइन, आपूर्ति, इंस्टालेशन और 3 एसपी और 5 एसपी क्षमता के 10-10 हजार पंपों की कमिशनिंग शामिल है। सफल बोलीदाता को परिचालन एवं रखरखाव गतिविधियों का काम भी 5 साल के लिए देखना होगा।