राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने इंदिवजल धस्माना को बताया कि दर को तर्कसंगत बनाने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने और प्रत्यक्ष कर संहिता को बेहतर बनाने के लिए प्रस्तावों में बदलाव की जरूरत नहीं है। उन्होंने पेटीएम जांच, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, राजस्व अनुमानों आदि पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं संपादित अंश:
वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमानों के मुताबिक राजस्व प्राप्तियां कम रहने के आसार हैं। इस साल जबरदस्त कर संग्रह बताए जाने के बावजूद केवल व्यक्तिगत आयकर की प्राप्ति ही बजट अनुमानों से अधिक आंकी गई है। क्या आप सहमत हैं?
कोई यह भी कह सकता है कि व्यक्तिगत आयकर के अलावा अन्य अनुमान अच्छे लगाए गए थे। लिहाजा हम बजट अनुमानों पर कम या ज्यादा कायम हैं। हालांकि यह कुछ क्षेत्रों में खासतौर पर अप्रत्यक्ष कर जैसे आबकारी और सीमा शुल्क में घटा है। पहले नौ महीनों के वास्तविक आंकड़ों के आधार पर अप्रत्यक्ष करों का आकलन किया जाता है जबकि पहले 10 महीनों के आधार पर प्रत्यक्ष करों का आकलन किया जाता है। लिहाजा हमें वर्ष के अंत में जो मिलेगा, वह बहुत करीबी होना चाहिए।
अगले वित्त वर्ष के लिए कर में उछाल 1.09 रखी गई है। इसे कई लोगों ने कम कहा है। आपकी क्या राय है?
अगर आप बीते 10 वर्षों में कर में उछाल (बाइअन्सी) देखेंगे तो यह केवल 1.1 है। इन वर्षों में कुछ बार एक से कम रहा है, लेकिन ज्यादातर साल एक से ज्यादा ही रहा है। हमारा अनुमान ऐतिहासिक औसत पाइंट के आधार पर वास्तविक है। हमने इस साल बेहतर अनुमान जताया है। लिहाजा अगले साल के दौरान एक से अधिक का उछाल हासिल करना और कठिन हो जाता है।
रिजर्व बैंक से हस्तांतरण व सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अन्य से लाभांश की प्राप्तियां वित्त वर्ष 25 में घटाकर 1.02 लाख करोड़ रुपये रखी गई है जबकि वित्त वर्ष 24 में 1.04 लाख करोड़ रुपये थी। क्या आप आरबीआई से इस साल के 87,000 करोड़ रुपये की तरह अगले साल भी अधिक हस्तांतरण की उम्मीद कर रहे हैं?
अभी हमारे पास सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अन्य बैंकों से आरबीआई हस्तांतरण और लाभांश का विवरण नहीं है।
व्यक्तिगत करदाताओं व छोटी कंपनियों की खास अवधि की मामूली मांगें वापस ली जाएंगी। एक करोड़ करदाताओं के बारे में क्या राय है?
यह आयकर और छोटी कंपनियों से संबंधित है। इनमें ज्यादातर आयकरदाता हैं लेकिन कॉरपोरेट कर की मांग भी हो सकती है। हालांकि इनमें 99 प्रतिशत व्यक्तिगत आयकर के मामले हो सकते हैं।
आपने इन मांगों को खत्म कर दिया है लेकिन इन्हें भविष्य में भी उठाया जा सकता है। क्या इसकी गारंटी है कि इन मांगों को दोबारा वापस नहीं लाएंगे?
यह एक बार हुई कार्रवाई है। इसका कारण यह है कि हमारी प्रणाली दुरुस्त नहीं थी। ये विवाद नहीं है लेकिन वास्तव में समाधान हासिल करने में गड़बड़ियां हैं। वर्ष 2010-11 से पहले के रिकॉर्ड विकेंद्रीकृत ढंग से रखे जाते थे। इसलिए हमने कट ऑफ 2009-10 रखा है। हमने अपने सिस्टम में इन रिकॉर्ड का अपग्रेडेशन कर लिया है।
लिहाजा ऐसे मामले भविष्य में कम स्तर पर उठेंगे और कम स्तर पर ही रहेंगे। कुल मांगें 267 लाख रहीं। इनमें में 220 लाख मांगें 25,000 रुपये से भी कम की थीं। इनमें से 110 लाख को रिकॉर्ड से बाहर किया गया है। हम 2009-10 के बाद के वर्षों के 25,000 रुपये से कम के शेष 110 लाख मामलों को जारी रखेंगे और उनका समाधान करने का प्रयास करेंगे। यदि करदाता भुगतान की रसीदें दिखा देगा तो हम इसे अपने सिस्टम से लंबित मांगों की सूची से हटा देंगे। लेकिन बाकी सभी मांगों पर आगे बढ़ेंगे चाहे वे 100 रुपये की ही क्यों न हों।
ऑनलाइन कंपनियों को पूरे दांव के लिए नोटिस भेजे गए हैं जबकि कानून के अनुसार प्रवेश स्तर के दांव पर कर लगाया जाना है। गेमिंग कंपनियों के लिए दो मानदंड क्यों होने चाहिए?
नए प्रावधान अक्टूबर, 2023 से प्रभावी होंगे जबकि इससे पहले के मामलों पर पुराने प्रावधान लागू होंगे।
यह करदाता कहते हैं। हमारा नजरिया है कि हर दांव पर जीएसटी 28 प्रतिशत की दर से लगाया जाएगा। लेकिन वे (करदाता) सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर 18 प्रतिशत की दर से भुगतान कर रहे थे।
हमने अक्टूबर से तीन महीनों तक 3,470 करोड़ रुपये प्राप्त किया जबकि इससे पहले की तीन महीनों में 605 करोड़ रुपये प्राप्त किया था। लिहाजा हर महीने 1,167 करोड़ रुपये का संग्रह रहा जबकि पहले यह 202 करोड़ रुपये था। लिहाजा नए प्रावधान लागू होने के बाद 965 करोड़ रुपये प्रति माह का इजाफा हुआ।
अगर यह हमें इसी दर से बढ़ा हुआ मिला तो वित्त वर्ष 25 में करीब 14,000 करोड़ रुपये होगा। इस वित्त वर्ष में 7,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। हालांकि 2022-23 में मात्र 1600 करोड़ रुपये मिला था।
हमने बीते कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर करों की दरों में युक्तिसंगत बदलाव किए हैं, प्रणाली को बेहतर बनाया है और प्रक्रिया को आसान बनाया है। लिहाजा प्रत्यक्ष कर संहिता में बदलाव की जरूरत नहीं है।
हमें अभी तक कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है। यदि ईडी को खासतौर पर धनशोधन से संबंधित मामले में कोई सूचना प्राप्त होती है तो वह कानून के तहत कार्रवाई करेगा।