कैबिनेट सचिवालय के हस्तक्षेप के बाद सरकारी विभाग और मंत्रालय गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) में सुधार के लिए सक्रिय हो गए हैं। उन्हें ये सुधार 15 नवंबर यानी कल तक करने हैं।
नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने क्यूसीओ को रद्द, निलंबित और स्थगित करने पर रिपोर्ट पेश की थी। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में कैबिनेट सचिवालय ने सरकारी विभागों से ‘कार्रवाई’ रिपोर्ट मांगी थी।
समिति ने एक आंतरिक रिपोर्ट में 200 से अधिक उत्पादों के लिए क्यूसीओ को रद्द, निलंबित और स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था। इसमें चिंता जताई गई थी कि इन आदेशों ने अनुपालन बोझ बढ़ा दिया है और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया है। इससे भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में इन 200 उत्पादों में से सरकार को उद्योग पर दबाव कम करने के लिए प्लास्टिक, पॉलिमर, बेस मेटल, फुटवियर और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों जैसी प्रमुख सामग्री को कवर करने वाले 27 क्यूसीओ को रद्द करने की सिफारिश की गई थी। यह कार्रवाई संबंधित मंत्रालयों को लागू करनी थी। इनमें कपड़ा मंत्रालय, रसायन और उर्वरक विभाग, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय और अन्य विभाग शामिल हैं। क्यूसीओ से जुड़े सुधार ऐसे समय में आए हैं जब भारत और अमेरिका लंबे समय से अटके व्यापार समझौते को लगभग अंतिम रूप दे चुके हैं। अमेरिका ने भारत की क्यूसीओ व्यवस्था पर गैर-शुल्क बाधा के रूप में बार-बार चिंता जताई है जो भारत के बाजार में अमेरिकी निर्यात को बाधा पहुंचाता है। क्यूसीओ सहित गैर-शुल्क बाधाएं भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में चर्चा का प्रमुख बिंदु रही हैं। कैबिनेट सचिवालय को भेजे गए ईमेल सवालों का जवाब नहीं मिला।
कुछ सरकारी विभागों ने कार्रवाई शुरू कर दी है। उदाहरण के लिए पेट्रोलियम और उर्वरक मंत्रालय ने 12 नवंबर के आदेश में प्लास्टिक और सिंथेटिक फाइबर से संबंधित 14 उत्पादों पर क्यूसीओ को रद्द कर दिया।
इसके बाद 13 नवंबर को खान मंत्रालय ने टिन, एल्यूमीनियम, सीसा, जस्ता, निकल और तांबा सहित सात उत्पादों पर क्यूसीओ हटा दिया। इस्पात मंत्रालय और डीपीआईआईटी ने भी क्यूसीओ पर पिछले कुछ हफ्तों में गहन हितधारक परामर्श आयोजित किए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने रिपोर्ट (उच्च स्तरीय समिति ) का बारीकी से आकलन किया है और हितधारक परामर्श भी किए हैं।
इस मसले पर जल्द ही (15 नवंबर से पहले) फैसला लेना होगा।’ दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा कि भले ही क्यूसीओ को वापस ले लिया जाए, लेकिन अगर जरूरत पड़े तो भारत को दैनिक रूप से आयात रुझानों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गुणवत्ता नियमों के अभाव में डंप किए गए या घटिया सामग्रियों की बाढ़ न आ जाए।
इस रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया, ‘पॉलिमर, फाइबर, धातु और इंटरमीडिएट के लिए जहां क्यूसीओ वापस लिए गए हैं,वहीं वैश्विक आपूर्तिकर्ता कम कीमतों पर अतिरिक्त इन्वेंट्री भेजने का प्रयास कर सकते हैं। सीमा शुल्क डेटा, डीजीटीआर अलर्ट और पहुंचने वाले माल की कीमत के पैटर्न की निरंतर निगरानी से सरकार को अनुचित व्यापार तरीकों के उभरने पर एंटी-डंपिंग, सुरक्षा उपाय या टैरिफ-रेट उपायों के माध्यम से तेजी से कार्रवाई करने में मदद मिलेगी। इस दृष्टिकोण से क्यूसीओ वापस लेने के लाभों को सुरक्षा मिलेगी- कम लागत, सुचारु आपूर्ति श्रृंखला। साथ ही घरेलू उद्योग को डंप किए गए आयात से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी।’