वित्त वर्ष 2023-24 के शुरुआती 4 महीनों के दौरान सरकार के ई मार्केटप्लेस (जेम) से केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) द्वारा वस्तुओं व सेवाओं की खरीदारी 74 प्रतिशत बढ़कर 42,510 करोड़ रुपये हो गई है। वित्त मंत्रालय ने सीपीएसई को इस पोर्टल के माध्यम से 100 प्रतिशत खरीद सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया है, जिसकी वजह से यह तेजी आई है।
सीपीएसई द्वारा जेम पोर्टल से खरीद कई गुना बढ़ चुकी है। 2020-21 में कुल 7,027 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी, जो 2021-22 में बढ़कर 45,928 करोड़ रुपये हुई और यह 2022-23 में बढ़कर 1,05,780 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम सीपीएसई के साथ लगातार संपर्क में हैं और कार्यशालाएं करा रहे हैं, जिससे उन्हें दिशानिर्देशों के पालन में मदद मिले और उन्हें पोर्टल से खरीद की प्रक्रिया में सुविधा मिल सके। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 24 में उनकी कुल खरीद 1.5 लाख करोड़ रुपये पार कर जाएगी।’
जेम भारत में सार्वजनिक खरीद के लिए ऑनलाइन पोर्टल है। इसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 2016 में शुरू किया था। इसका मकसद खरीदारों व विक्रेताओं के लिए एक समावेशी, कुशल और पारदर्शी प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जहां उचित और प्रतिस्पर्धी तरीके से खरीद की गतिविधियां हो सकें।
अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय के दिशानिर्देशों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सीपीएसई के सीईओ व प्रमुखों को संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिवों से यह प्रमाणित कराना होगा कि वही वस्तुएं व सेवाएं बाहर से खरीदी जा रही हैं, जो जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं।’
नैशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम कुछ प्रमुख सीपीएसई हैं, जो खरीद प्रक्रिया में अग्रणी हैं। फरवरी में वित्त मंत्रालय ने सीपीएसई से यह भी कहा था कि वे वित्त वर्ष 24 के लिए संभावित खरीद का अनुमान लगाएं और वे इसे जेम द्वारा बनाए गए समर्पित डैशबोर्ड पर अपलोड करें।
जेम पोर्टल का सकल वाणिज्यिक मूल्य (जीएमवी) जुलाई के अंत तक करीब 80,000 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें से सीपीएसई की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है। उसके बाद केंद्र के मंत्रालयों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत और राज्यों की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है।
2022-23 में पोर्टल से वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल खरीद करीब 2 लाख करोड़ रुपये रही है। 2021-22 में यह 1.06 लाख करोड़ रुपये थी।
सीपीएसई के एमओयू में जेम पोर्टल के माध्यम से खरीद एक मानदंड बनाया गया है, जो उनके प्रदर्शन के मूल्यांकन की रेटिंग पर असर डालता है, जिस पर प्रदर्शन से जुड़ा भुगतान निर्भर करता है।
जून में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया था कि जेम से वित्त वर्ष 2024 में कुल खरीद 3 लाख करोड़ रुपये पार कर जाएगी। उन्होंने कहा, ‘जेम पोर्टल के इस्तेमाल से करदाताओं के पैसे की बचत हो रही है और सार्वजनिक कल्याण परियोजनाओं में इसका बेहतर इस्तेमाल हो रहा है। नई व्यवस्था में आंकड़ों के विश्लेषण की सुविधा है, जिससे खरीदारों और विक्रेताओं को संबंधित लेन-देन के फैसले लेने में मदद मिलती है।’
मई में जेम के माध्यम से सीपीएसई की खरीद पर मई में आयोजित एक कार्यशाला में स्कोप के डायरेक्टर जनरल अतुल सोबती ने कहा था कि कारोबार का एक महत्त्वपूर्ण पहलू खरीदारी है, जिससे न सिर्फ वित्तीय विवेकशीलता निर्धारित होती है, बल्कि यह व्यापार की शाख भी निर्धारित करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई की उपस्थिति के कारण कुशल खरीद बहुत जरूरी हो जाती है, जिससे लागत का अधिकतम इस्तेमाल व बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।