Public Procurement: सार्वजनिक खरीद से संबंधित आवेदनों के बड़ी संख्या में लंबित रहने के मामले को देखते हुए सरकार अब इसे तेजी से निपटाने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव की अध्यक्षता में सार्वजनिक खरीद आदेश के कार्यान्वयन की समीक्षा करने वाली स्थायी समिति ने हाल में बैठक की। समिति ने नोडल मंत्रालयों से कहा है कि वे सीमावर्ती देशों के बोलीदाताओं के पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर सिफारिश दे दें।
सरकार को कुल 775 आवेदन मिले थे मगर 506 आवेदन अधूरे थे जिसके बारे में आवेदकों को सूचित कर दिया गया था। पूरी तरह से भरे गए 269 आवेदनों में से केवल 17 इकाइयों को ही पंजीकरण की मंजूरी दी गई और 148 को अस्वीकृत कर दिया गया। 104 आवेदन नोडल मंत्रालयों या राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, गृह और विदेश मामलों के मंत्रालय के पास लंबित हैं।
स्थायी समिति की हालिया समीक्षा बैठक के ब्योरे को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने देखा है जिसमें कहा गया है, ‘स्थायी समिति सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों को आवेदन की आगे की प्रक्रिया के लिए 30 दिनों के भीतर पंजीकरण प्रदान करने या इस संबंध में अपनी स्पष्ट सिफारिश देने का निर्देश दे सकती है। स्थायी समिति संबंधित मंत्रालयों/विभागों को तेजी से लंबित आवेदनों पर अपनी सिफारिश देने का भी निर्देश दे सकती है।’
व्यय विभाग की फरवरी 2023 की अधिसूचना में कहा गया था कि भारत के सीमावर्ती देश (जिसकी भूमि सीमा भारत से लगती हो) का कोई भी बोलीदाता किसी भी सार्वजनिक खरीद में बोली लगाने के लिए पात्र होगा। इसमें सामान, सेवाओं या ठेका परियोजनाओं आदि से संबंधित कार्य शामिल हैं। हालांकि ऐसे बोलीदाता को डीपीआईआईटी की पंजीकरण समिति में पंजीकृत होना होगा। यह नियम उन भारतीय बोलीदाताओं पर भी लागू होता है जिन्होंने सीमावर्ती देश की कंपनी के साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का करार किया है।
सार्वजनिक खरीद आदेश में यह संशोधन 2020 के प्रेस नोट के अनुरूप किया गया था, जिसके तहत चीन जैसे सीमावर्ती देशों से निवेश के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य की गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में पूर्व उद्योग सचिव अजय दुआ ने कहा कि यह स्थायी समिति का निर्देश नहीं बल्कि अनुरोध है। उन्होंने कहा, ’30 दिन की समयसीमा गृह और विदेश मामलों के मंत्रलय के लिए भी लागू होनी चाहिए क्योंकि सुरक्षा मंजूरी में काफी वक्त लगता है। चीन की कंपनियां वस्तुओं, सेवाओं और अन्य कार्य की आपूर्ति प्रतिस्पर्धी मूल्य पर करती हैं, जिससे सरकार को लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।’