भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत विदेश जाने वाले धन में अक्टूबर 2025 में सालाना आधार पर 1.81 प्रतिशत की कमी आई है। यात्रा और शिक्षा पर धन खर्च घटने के कारण यह एक साल पहले के 2.40 अरब डॉलर की तुलना में घटकर 2.35 अरब डॉलर रह गया है। बहरहाल विदेश में निवेश के कारण इसमें आने वाली गिरावट थोड़ी थमी है।
रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 17.2 अरब डॉलर विदेश भेजा गया है, जबकि पिछले साल की समान अधि में यह 18 अरब डॉलर था। 2004 में पेश की गई एलआरएस योजना के तहत अवयस्क सहित कोई भी भारतीय एक वित्त वर्ष के दौरान अनुमति प्राप्त किसी भी चालू या पूंजी खाते से या दोनों खातों से संयुक्त लेनदेन के माध्यम से 2,50,000 डॉलर तक विदेश भेज सकता है। शुरुआत में इस योजना के तहत तय सीमा 25,000 डॉलर थी। व्यापक और सूक्ष्म आर्थिक स्थिति को देखते हुए कई चरणों में एलआरएस की सीमा बढ़ाई गई।
कुल धनप्रेषण में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत होती है। मासिक आंकड़ों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर खर्च सालाना आधार पर 7.02 प्रतिशत घटकर 1.35 अरब डॉलर रह गया जो वित्त वर्ष 2025 की समान अवधि में 1.45 अरब डॉलर था। विदेश में शिक्षा पर खर्च सालाना आधार पर 26.19 प्रतिशत गिरकर 16.33 करोड़ डॉलर रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 22.118 करोड़ डॉलर था।
वहीं इक्विटी/डेट में निवेश सालाना आधार पर 83 प्रतिशत बढ़कर 27,309 करोड़ डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 14.934 करोड़ डॉलर था। वहीं अचल संपत्ति की खरीद से जुड़ा धनप्रेषण सालाना आधार पर 78.8 प्रतिशत बढ़कर 4.464 करोड़ डॉलर हो गया, जबकि जमा के लिए गया धन सालाना आधार पर 20.7 प्रतिशत बढ़कर 4.716 प्रतिशत हो गया।
इस माह के दौरान निकट संबंधियों को खर्च के लिए भेजा गया धन सालाना आधार पर 3.5 प्रतिशत घटकर 27.386 करोड़ डॉलर रह गया, वहीं उपहार के रूप में भेजा गया धन घटकर 19.753 करोड़ डॉलर रह गया, जो एक साल पहले 21.63 करोड़ डॉलर था। इलाज पर खर्च के लिए भेजा गया धन भी घचकर 50.4 लाख डॉलर रह गया है।
विदेश में रह रहे भारतीयों (एनआरआई) द्वारा भारत में जमा किए जाने वाले धन कमी आई है। वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान यह घटकर 8.3 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 11.8 अरब डॉलर था। यह मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी नॉन रेजिडेंट बैंक (एफसीएनआर-बी) जमा में आवक घटने से हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2025 के अंत तक एनआरआई जमा 168.78 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले के 162.69 अरब डॉलर से कम है।
वित्त वर्ष 26 के अप्रैल से अक्टूबर में शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) बीते वर्ष की इस अवधि के 3.3 अरब डॉलर से करीब दो गुना बढ़कर 6.2 अरब डॉलर हो गया। इस अवधि में सकल और शुद्ध एफडीआई दोनों ही बीते वर्ष की तुलना में अधिक रहा।
भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम मासिक बुलेटिन के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में सकल एफडीआई की आवक मामूली रूप से बढ़कर 58.3 अरब डॉलर हो गई जबकि एक साल पहले यह 50.5 अरब डॉलर थी। यह अक्टूबर में स्थिर रही। इस माह में कुल एफडीआई प्रवाह में सिंगापुर, मॉरीशस और अमेरिका को योगदान 70 प्रतिशत से अधिक रहा।
वित्त वर्ष 26 की अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में भारत वापस आने वाला विदेशी मुद्रा घटकर 31.65 अरब डॉलर हो गया जबकि यह एक साल पहले यह 33.2 अरब डॉलर था। हालांकि बाहरी एफडीआई बढ़कर 20.5 अरब डॉलर हो गया जबकि पहले यह 14.06 अरब डॉलर था। अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत आने वाला 60 प्रतिशत एफडीआई वित्तीय सेवा क्षेत्र में आया। इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग, बिजली और संचार सेवाओं में आया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अक्टूबर महीने में 11.8 अरब डॉलर की बिकवाली की, जो दिसंबर 2024 के बाद 10 महीनों में डॉलर की सर्वाधिक बिक्री है। सितंबर में रिजर्व बैंक ने 7.9 अरब डॉलर बेचे थे।
अक्टूबर में रिजर्व बैंक ने डॉलर के मुकाबले रुपये को 88.80 प्रति डॉलर से नीचे जाने से रोकने के लिए तत्परता से डॉलर की आपूर्ति की।
नवंबर 2025 में भारतीय रुपये का रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (आरईईआर) 97.51 पर रहा और अक्टूबर की तुलना में इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ।