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India-New Zealand FTA: भारतीय उत्पादों के निर्यात पर नहीं लगेगा कोई शुल्क; 20 अरब डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता

इसके एवज में भारत ने 70 फीसदी उत्पादों के लिए शुल्क में नरमी की पेशकश की है जो 95 फीसदी द्विपक्षीय व्यापार मूल्य को कवर करता है

Last Updated- December 22, 2025 | 10:33 PM IST
India New zealand FTA
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारत और न्यूजीलैंड ने नौ महीने की बातचीत के बाद एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दिया है। इससे न्यूजीलैंड में 100 फीसदी भारतीय निर्यात पर शून्य शुल्क तय किया गया है। साथ ही न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में 20 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की प्रतिबद्धता भी जताई है। इसके एवज में भारत ने 70 फीसदी उत्पादों के लिए शुल्क में नरमी की पेशकश की है जो 95 फीसदी द्विपक्षीय व्यापार मूल्य को कवर करता है।

एफटीए लागू होने पर 30 फीसदी उत्पादों के लिए शुल्क खत्म हो जाएगा। इसमें लकड़ी, ऊन, भेड़ का मांस आदि वस्तुएं शामिल हैं। लगभग 29.97 फीसदी उत्पादों को सूची से बाहर रखा गया है। इनमें दूध, क्रीम, मट्ठा, दही, पनीर, भेड़ मांस के अलावा अन्य पशु उत्पाद, प्याज, चना, मटर, मक्का, बादाम, चीनी, कृत्रिम शहद जैसी वस्तुएं शामिल हैं।

एफटीए लागू होने के बाद न्यूजीलैंड के लिए भारत का शुल्क घटकर 13.18 फीसदी रह जाएगा। वह अगले पांच वर्षों में और घटकर 10.3 फीसदी और दसवें वर्ष तक 9.06 फीसदी रह जाएगा। तरजीही देश (एमएफएन) के लिए भारत का औसत टैरिफ 16.2 फीसदी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर कहा, ‘भारत-न्यूजीलैंड की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाली है। एफटीए अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लिए माहौल तैयार करेगा। भारत विभिन्न क्षेत्रों में न्यूजीलैंड से 20 अरब डॉलर से अधिक के निवेश का स्वागत करता है। हमारे प्रतिभाशाली युवा, जीवंत स्टार्टअप परिवेश और सुधार से संचालित अर्थव्यवस्था नवाचार, वृद्धि एवं दीर्घाव​धि भागीदारी के लिए एक मजबूत बुनियाद प्रदान करते हैं। साथ ही हम खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना जारी रखेंगे। मेरे मित्र प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और मैंने कुछ समय पहले भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते के निष्कर्ष के बाद काफी अच्छी बातचीत की।’

एफटीए के बाद अगले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार दोगुना होने की उम्मीद है जो ​फिलहाल 2.4 अरब डॉलर है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले दो-तीन महीनों में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। न्यूजीलैंड को इस समझौते पर अपने संसद से मंजूरी लेनी होगी। ऐसे में अ​धिकारियों ने उम्मीद जताई है कि एफटीए अगले छह से सात महीनों में लागू हो जाएगा।

यह समझौता 2021 के बाद भारत का सातवां व्यापार समझौता होगा। यह अमेरिका की संरक्षणवादी टैरिफ नीति के ​निपटने के लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह ‘फाइव आइज’ देशों के साथ भारत का तीसरा व्यापार समझौता है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और जल्द ही कनाडा के साथ बातचीत शुरू होने वाली है।

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह एफटीए भारतीय कंपनियों के लिए न केवल न्यूजीलैंड में बल्कि पूरे प्रशांत द्वीप के देशों में दमदार पैठ बनाने के लिहाज से भी फायदेमंद होगा। यह भारत को न्यूजीलैंड के लिए कुशल एवं अर्ध कुशल श्रमिकों के एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में खुद को स्थापित करने का अवसर भी प्रदान करेगा। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत की नजर अब विकसित देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करना है क्योंकि भारत का आर्थिक ढांचा ऐसे देशों के लिए अधिक अनुकूल है।

वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह समझौता भारत की सबसे प्रमुख सेवाओं की पेशकश करता है जो अब तक किसी भी एफटीए में शामिन नहीं हैं। यह समझौता भारतीय छात्रों पर संख्यात्मक सीमा को हटाता है, अध्ययन के दौरान प्रति सप्ताह न्यूनतम 20 घंटे काम करने की गारंटी देता है। यह व्यापार समझौता विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं ग​​णित स्नातकों व मास्टर डिग्री धारकों के लिए तीन साल तक और डॉक्टरेट ​​डिग्री वालों के लिए अध्ययन के बाद चार साल तक काम करने अवसर प्रदान करता है।

भारत के कुशल पेशेवरों के लिए यह एक नया अस्थायी रोजगार प्रवेश (टीईई) वीजा मार्ग होगा। इसमें किसी भी समय 5,000 वीजा का कोटा और तीन साल तक रहने की अनुमति होगी। इसमें आयुष चिकित्सक, योग प्रशिक्षक, भारतीय शेफ और संगीत शिक्षक जैसे भारतीय पेशे शामिल हैं। साथ ही आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण सहित उच्च मांग वाले क्षेत्र भी शामिल हैं। न्यूजीलैंड ने हर साल 1,000 युवा भारतीयों के लिए मल्टीपल-एंट्री वर्किंग हॉलिडे वीजा के लिए सहमति जताई है जो 12 महीनों के लिए वैध होगा। लगभग 118 सेवा क्षेत्रों में बाजार पहुंच के लिए प्रतिबद्धता जताई गई है।

जहां तक वस्तुओं का सवाल है तो न्यूजीलैंड का औसत लागू शुल्क 2025 में 2.2 फीसदी था जो अब शून्य हो जाएगा। कपड़ा, परिधान, चमड़ा एवं हेडगियर, सिरौमिक्स, कालीन, वाहन एवं वाहन कलपुर्जा जैसे क्षेत्रों को इससे काफी फायदा होगा क्योंकि न्यूजीलैंड ने इन क्षेत्रों पर 10 फीसदी आयात शुल्क बरकरार रखा था।  शराब, ऊन जैसी वस्तुओं के लिए भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अंतरिम व्यापार करार जैसे ही पेशकश किए हैं। शहद, कीवी, सेब और एल्बुमिन, जिनमें मिल्क एल्बुमिन शामिल हैं, जैसी वस्तुओं को शुल्क कोटा, न्यूनतम आयात मूल्य एवं मौसम आधारित बाजार पहुंच की पेशकश की गई है।

न्यूजीलैंड की दिलचस्पी मुख्य तौर पर डेरी क्षेत्र में बाजार पहुंच और शुल्क कम करने में थी। लेकिन भारत ने इन संवेदनशील वस्तुओं को सूची से बाहर रखा। अगर भारत ऑस्ट्रेलिया, चिली आदि बाजारों के लिए डेरी क्षेत्र को खोलता है तो न्यूजीलैंड भी संपर्क कर सकता है। मगर सरकारी अधिकारियों ने दोहराया कि भारत अपने डेरी क्षेत्र को सुर​क्षित रखेगा। फिलहाल जनवरी 2000 से सितंबर 2025 के दौरान भारत में न्यूजीलैंड का कुल एफडीआई लगभग 8.82 करोड़ डॉलर है। अब तक कंपनियों ने विनिर्माण, बुनियादी ढांचा से संबं​धित क्षेत्रों में निवेश करने में रुचि दिखाई है।

वित्त वर्ष 2025 में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 1.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया। साल 2024 में वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल कारोबार लगभग 2.4 अरब डॉलर था, जिसमें सेवाओं का व्यापार 1.24 अरब डॉलर था।  भारत के प्रमुख वस्तु निर्यात में विमान ईंधन, कपड़ा, फार्मास्युटिकल्स, मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद आदि शामिल हैं। आयात में लकड़ी, इस्पात एवं एल्युमीनियम स्क्रैप, कोकिंग कोल, टर्बोजेट, ऊन, दूध, एल्बुमिन, सेब एवं कीवी शामिल हैं।

First Published - December 22, 2025 | 10:29 PM IST

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