उद्योग जगत ने सरकार से अनुरोध किया है कि सेवा के निर्यात के लिए नई योजना लागू की जानी चाहिए और इसे नई विदेश व्यापार नीति का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, जो अक्टूबर से लागू होने की संभावना है। सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एसईपीसी) के चेयरमैन मानेक डावर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि सेवा योजना के निर्यात के लिए शुल्क छूट (डीआरईएसएस) योजना के तहत सेवा निर्यातों में रिफंड न किए गए करों व शुल्कों को वापस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर यह योजना लागू की जाती है तो इससे देश के सेवा निर्यातकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
प्रस्तावित योजना से सेवा निर्यातों को समर्थन मिलेगा और और रोजगार सृजन जैसे मसलों पर ध्यान केंद्रित होगा, विशेष क्षेत्रों की जरूरतों पर ध्यान दिया जा सकेगा, छोटे कारोबारियों को समर्थन मिलेगा और कर वापसी न होने वाले करों का बोझ खत्म होगा। यह निर्यात उत्पादों पर शुल्क एवं करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना जैसा होगा, जो वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात के लिए पेश किया गया है।
एसईपीसी ने अपनी सिफारिशें सौंप दी है और सरकार से अनुरोध किया है कि वह सुनिश्चित करे कि नई योजना व्यापक आधार वाली और सरल है, जिसमें भारत में सृजित सभी सेवाएं शामिल हों। इस समय सर्विस एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एसईआईएस) एकमात्र केंद्रीय सेवा निर्यात प्रोत्साहन योजना है। विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के तहत इसे 6 साल पहले शुरू किया गया था। बहरहाल इस योजना के लिए आवंटन 2019-20 में करीब आधा करके 2,000 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा रखा गया था। डावर 2019-20 के लिए एसईआईएस योजना को अभी अधिसूचित किया जान है और इस योजना को अधिसूचित करने में देरी की वजह से इस क्षेत्र के उत्साह में कमी आई है। निर्यातकों को वित्त वर्ष 20 का एसईआईएस का बकाया अभी मिलना है।
निर्यात संवर्धन परिषद की हाल की बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से यह भी कहा था कि 2030 तक निर्यात का लक्ष्य 2 लाख करोड़ डॉलर रखा गया है, जिसमें 1 लाख करोड़ डॉलर वाणिज्यिक वस्तुओं का और 1 लाख करोड़ डॉलर सेवा निर्यात शामिल है। इसके अलावा वाणिज्य विभाग में दो अलग डिवीजन बनाया गया है, जिससे 1 लाख करोड़ डॉलर के सेवा निर्यात का लक्ष्य हासिल किया जा सके। डावर ने कहा, ‘सेवा निर्यातों ने इस साल जोरदार वृद्धि दर्ज की है। कुल मिलाकर सेवा निर्याज जून महीने में 16 प्रतिशत बढ़ा है, जो अब तक का पिछले 4 साल में सबसे ज्यादा निर्यात (जून महीने में) है, जबकि यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों में 70 प्रतिशत से ज्यादा कारोबार कम हुआ है। सेवा निर्यातक योजनाओं का लाभ दिए जाने के मामले में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यातकों से समानता चाहते हैं, जिससे वे प्रतिस्पर्धी बन सकें।’ महामारी के बावजूद भारत का कुल सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2020-21 में सिर्फ 3 प्रतिशत संकुचित होकर 206 अरब डॉलर रहा है। 2021-22 में सेवा निर्यात 16 प्रतिशत बढ़कर 240 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। डावर के मुताबिक अगर यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र खुलता है तो यह 250 अरब डॉलर तक जा सकता है।