सरकार को विशेष परिस्थितियों में भी पिलर 2 अपनाने से 100-200 करोड़ रुपये से अधिक के अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद नहीं है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इस मामले में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ा जा रहा है और इन नियमों को शीघ्र लागू किए जाने की उम्मीद नहीं है।
आंतरिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि सरकार को पिलर 2 लागू करने के बाद भी 100-200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व होने की उम्मीद है, वह भी कुछ तय दशाओं में। सूत्र ने बताया कि इससे अधिक फायदा नहीं है और इतनी छोटी सी राशि के लिए कानून बनाने का अधिकार खोना बड़ी कीमत है। केंद्र का पिलर-2 कर व्यवस्था को लेकर अलग नजरिया है।
यदि पिलर 2 कर व्यवस्था अपनाई जाती है तो सरकार कॉरपोरेट कराधान पर कानून बनाने का ‘संप्रभु अधिकार’ खो सकती है। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर राजू कुमार ने कहा, ‘ पिलर 2 लागू करने से भारत की कर नीति की स्वायत्ता सीमित हो सकती है। पिलर 2 में मल्टीनैशनल कॉरपोरेशन पर न्यूनतम 15 फीसदी का कर तय किया गया है और ऐसा करने पर विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी कर दर मुहैया कराने की देश की क्षमता कम हो सकती है। इसके लिए आय समावेशन और कम कर भुगतान जैसे विशिष्ट नियमों का पालन करना भी जरूरी है, जिससे भारत के आर्थिक उद्देश्यों के अनुसार कर कानूनों को अनुकूलित करने में लचीलापन सीमित हो सकता है।’