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मौद्रिक घाटे में कमी के आसार नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 1:45 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर वाई वी रेड्डी ने कहा है कि भारत सबसे अधिक मौद्रिक घाटे वाले देशों की फेहरिश्त में शुमार रहेगा। इसके बाद भी अंतर्निहित दबाव पूरी तरह से इस घाटे में स्पष्ट नहीं है।


रेड्डी ने यहां नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार की मौद्रिक स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन कई ऐसे अंतर्निहित कारक हैं जिनका प्रभाव अभी तक इसमें दिखाई नहीं दे रहा है।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर मौद्रिक घाटा भारत को दुनिया में सबसे अधिक घाटा उठा रहे देशों की सूची में शुमार कर रहा है। हालांकि सरकार जीडीपी पर घाटे की दर को 2007-08 के 3.1 प्रतिशत से घटाकर वित्तीय वर्ष 2008-09 में 2.5 प्रतिशत करना चाहती है।

First Published - May 26, 2008 | 11:18 PM IST

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