वर्ष 2030 तक देश में 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता तैयार करने के लिए 16वें वित्त आयोग को अगले पांच वर्षों तक सभी राज्यों को सालाना हरित अनुदान (ग्रीन ग्रांट) के रूप में 14,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करना होगा। राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) के नवीनतम कार्य पत्र में यह कहा गया है।
पत्र में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार में सार्वजनिक निवेश की प्रमुख भूमिका होनी चाहिए। पत्र के अनुसार इस क्षेत्र की परियोजनाओं को अक्सर ऊंची पूंजी लागत, नई तकनीक और लंबी भुगतान अवधि से जुड़े जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति एवं भुगतान में देरी से भी समस्याएं बढ़ती हैं।
इस पत्र में कहा गया है कि झारखंड को हरित अनुदान के रूप में सालाना 4,300 करोड़ रुपये की जरूरत है। पत्र को अनुसार महाराष्ट्र को सालाना 1,700 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 1,600 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 688 करोड़ रुपये, ओडिशा को 642 करोड़ रुपये, मणिपुर को 595 करोड़ रुपये और अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश को 569-569 करोड़ रुपये की जरूरत है।
एनसीएईआर के पत्र में कहा गया है, ‘वित्त आयोग जलवायु लक्ष्यों से जुड़े हरति अनुदानों का सुझाव देकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को गति देने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस दिशा में पहल किए जाने से इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के साथही जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जा सकती है। इससे राज्य स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।‘
पर्यावरण से जुड़े पहलू 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों का हिस्सा थे और राजस्व वितरण में वन क्षेत्र एवं पारिस्थितिकी-तंत्र को 10 प्रतिशत तवज्जो दी गई थी मगर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास पर विचार नहीं किया गया था। पत्र में कहा गया है कि 15वें वित्त आयोग ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए राज्य विशिष्ट अनुदानों (पांच वर्षों के लिए कुल 2,095 करोड़ रुपये) का सुझाव दिया था।
पत्र में आगे कहा गया है, ‘नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए तय महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को देखते हुए इतनी रकम का आवंटन पर्याप्त नहीं है। हरित ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत बनाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वित्त आयोग को राज्यों के लिए धन आवंटित कराने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तैयार करने के लिए वित्त आयोग को राज्यों को हरित ऊर्जा अनुदान देने की व्यवस्था करनी चाहिए।‘
पत्र में एक राज्यवार विश्लेषण का भी जिक्र है जिसमें कहा गया है कि कई राज्यों में नवीकरणीय ऊर्जा लिए बजट सीमित है। इस विश्लेषण के अनुसार कुछ राज्य ही हरित ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने की दिशा में प्रभावी रूप से कदम बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं।
उदारण के लिए छत्तीसगढ़ (680 करोड़ रुपये), झारखंड (291 करोड़ रुपये), गुजरात (627 करोड़ रुपये) जैसे राज्य नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में अग्रणी रहे हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश भी पारंपरिक ऊर्जा जरूरतों और स्वच्छ ऊर्जा के बीच संतुलन साधते हुए नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में औसत निवेश कर रहे हैं। 16वें वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर 2023 को किया गया था।