मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 6 से 8 फरवरी की बैठक के ब्योरे से पता चलता है कि महंगाई पर अधिकतर सदस्यों की चिंता बढ़ गई है। नीतिगत दरें तय करने वाली इस समिति ने मुख्य मुद्रास्फीति में तेजी बरकरार रहने पर भी चिंता जताई है।
छह सदस्यीय MPC ने 8 फरवरी को बैठक के बाद रीपो दर 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 फीसदी करने की घोषणा की थी। इस प्रकार मई 2022 के बाद से रीपो दर में कुल 250 आधार अंकों की वृद्धि हो चुकी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्योरे में लिखा है, ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में नरमी की मुख्य वजह सब्जियों की कीमतों में गिरावट रही है। मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति) में वृद्धि हुई और वह करीब 6 फीसदी पर बरकरार है। सब्जियों को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी अधिक हो गई है।’
दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में गिरावट केवल खाद्य मुद्रास्फीति के दम पर नहीं बनी रह सकती। इसलिए हमें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अडिग रहना चाहिए ताकि उसमें निर्णायक एवं टिकाऊ गिरावट सुनिश्चित हो सके।’
नवंबर और दिसंबर में मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बाद MPC ने अपनी पिछली बैठक में जनवरी से मार्च के लिए मुद्रास्फीति संबंधी अनुमान घटा दिया था। लेकिन 8 फरवरी के बाद जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 6.52 फीसदी हो गई।
मुद्रास्फीति के लिए आरबीआई का लक्ष्य 4 फीसदी है, लेकिन उसका दायरा 2 से 6 फीसदी है। विश्लेषकों ने कहा कि जनवरी में मुद्रास्फीति में वृद्धि की मुख्य वजह अनाज की कीमतों में तेजी रही।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने कहा है, ‘सर्दियों के मौसम में सब्जियों की कीमतों में गिरावट को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लगभग हर घटक में मूल्य दबाव बढ़ता दिख रहा है। इसलिए मौद्रिक नीति तब तक महंगाई कम करने पर केंद्रित रहनी चाहिए, जब तक मुद्रास्फीति लक्ष्य पर वापस नहीं आ जाती है।’
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को गहराई से देखने पर पता चलता है कि महंगाई में निर्णायक और टिकाऊ कमी नहीं हो रही।
रंजन ने कहा कि महंगाई से निपटने में केंद्रीय बैंकों को अपनी साख बनाए रखनी है, इसलिए अभी ढिलाई बरतना जल्दबाजी होगी।
MPC के तीन बाहरी सदस्यों में से एक शशांक भिडे ने भी मुद्रास्फीति के जोखिमों को उजागर करते हुए कहा कि कुछ खाद्य वस्तुओं के कारण मूल्य दबाव में नरमी दिखी थी। मगर नवंबर और दिसंबर 2022 में मुख्य मुद्रास्फीति 6 फीसदी अथवा इससे ऊपर रही।
MPC के दो अन्य बाहरी सदस्यों- आशिमा गोयल और जयंत वर्मा- ने रीपो दर में वृद्धि के खिलाफ मतदान किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि सख्त मौद्रिक नीति से आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।