भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य इस माह की शुरुआत में हुई बैठक के दौरान महंगाई दर के अनुमान को लेकर सहज नजर आए। वहीं 3 नए बाहरी सदस्यों ने मांग में कमी को लेकर चिंता जताई। समिति ने 5 और 1 मतों के बहुमत से नीतिगत रीपो दर 6.5 प्रतिशत बनाए रखने का फैसला लिया, जबकि बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने 25 आधार अंक कटौती के पक्ष में मत दिया। सभी सदस्य रुख बदलकर तटस्थ करने के मसले पर एकमत थे।
नागेश कुमार ने कहा, ‘भारतीय उद्योग साफतौर पर घरेलू व विदेशी दोनों ही बाजारों में मांग की कमी के संकट से जूझ रहा है।’इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट में डायरेक्टर और मुख्य कार्यकारी कुमार ने कहा, ‘महंगाई दर उम्मीद के मुताबिक सफलतापूर्वक स्थिर हो गई है। घरेलू और निर्यात दोनों ही बाजारों में औद्योगिक मांग कम हो रही है। ऐसे में नीतिगत दर में कटौती से मांग पैदा करने और निजी निवेशको बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।’
अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में वृद्धि की गति की मिली जुली तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें कुल मांग को लेकर अनिश्चितता है और महंगाई दर अधिक स्थिर नजर आ रही है। भट्टाचार्य ने कहा, ‘निकट अवधि के हिसाब से वृद्धि को जोखिम और महंगाई दर व्यापक रूप से संतुलित नजर आ रही है। महंगाई दर के लक्ष्य की ओर होने के रुझान हैं और इसमें स्थिरता नजर आ रही है।’ उन्होंने कहा कि चल रहे त्योहारी सीजन की बिक्री के आंकड़े और निजी क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों के वित्त वर्ष 2025 के जुलाई सितंबर के परिणाम आने पर मांग की स्थिति को लेकर स्थिति और साफ हो जाएगी।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डायरेक्टर राम सिंह ने कहा कि वृहद आर्थिक आंकड़ों और उपलब्ध संकेतकों से पता चलता है कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां स्थिर बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘खाद्य महंगाई दर इस वित्त वर्ष के आखिर तक कम होने की संभावना है क्योंकि खरीफ की फसल और रबी की बोआई बेहतर है और भंडारण पर्याप्त है।’
उन्होंने कहा, ‘अगस्त 2024 में लगातार दूसरे महीने उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे रही है। यह बहुत आरामदायक स्थिति है, खासकर इसलिए कि इस दौरान प्रमुख महंगाई दर 3.3 से 3.4 प्रतिशत के बीच बनी हुई है।’ उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक का 7.2 प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान आसानी से हासिल होने वाला लगता है।
आंतरिक सदस्यों में डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने कहा कि कुल मिलाकर महंगाई की स्थिति में सुधार है और परिवारों व व्यवसायों की महंगाई दर संबंधी अपेक्षाएं कम हुई हैं तथा स्थिर बनी हुई हैं। पात्रा को विश्वास था कि मॉनसून की वापसी में बेमौसम भारी बारिश और पित्रपक्ष के कारण आर्थिक संकेतकों में आई सुस्ती दूर हो जाएगी और वृद्धि बहाल होगी। रुख बदलकर तटस्थ किए जाने का समर्थन करते हुए पात्र ने दर कटौती को लेकर सावधानी अपनाई।
उन्होंने कहा, ‘बहुत ज्यादा संयम घटाने से महंगाई दर की दिशा में हुई प्रगति पर विपरीत असर पड़ सकता है। ऐसे में नीतिगत दर को लेकर संयम बरतने की जरूरत है, जब तक कि महंगाई दर अपने लक्ष्य के करीब नहीं पहुंच जाती।’
गवर्नर शक्तिकांत दास भी महंगाई दर को लेकर सहज नजर आए। उन्होंने कहा, ‘असमान प्रगति के बावजूद प्रमुख महंगाई दर कम हुई है।’ उन्होंने दोहराया कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता और मजबूती की तस्वीर पेश कर रही है तथा महंगाई दर और वृद्धि के बीच संतुलन अच्छा है।