जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के पहले के सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क की चोरी के सभी मामलों की जांच इस वित्त वर्ष के अंत तक पूरी कर सकता है। मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है।
अधिकारी ने कहा, ‘50-60 से भी कम मामलों की जांच होनी बाकी है। ज्यादा संभव है कि मार्च के अंत तक यह काम पूरा हो जाएगा और उसके बाद हम इसके लिए बनी इकाई को भंग कर देंगे, जिसे जीएसटी के पहले के मामलों की जांच के लिए गठित किया गया था।’
जुलाई 2017 के पहले डीजीजीआई, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के तहत केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय (डीजीसीईआई) के रूप में अपनी प्राथमिक खुफिया शाखा के रूप में काम करता था। डीजीसीईआई पर देश भर में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर की चोरी से संबंधित खुफिया जानकारी को इकट्ठा करने, व्यवस्थित करने और साझा करने की जिम्मेदारी थी।
पिछले साल तक कर चोरी के करीब 300 मामलों की जांच की गई, जिसका कुल मूल्य 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा था। सूत्रों ने संकेत दिए कि इन मामलों से रिकवरी की राशि कुछ सौ करोड़ है। पिछले साल पूरी की गई जांच प्राथमिक रूप से बिजली, ऑटोमोबाइल और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से संबंधित थी। इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को भेजे गए ई मेल का जवाब खबर छपने तक नहीं मिल सका।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कर चोरी के कुछ मामले 500 करोड़ रुपये तक के हैं। उन्होंने कहा, ‘इसकी रिकवरी आने वाले महीनों में हो सकती है और कुछ मामले अभी न्यायालयों में लंबित हैं।’
‘एक देश, एक कर’ की अवधारणा के मुताबिक वस्तु एवं सेवा कर का ढांचा तैयार किया गया था। यह अप्रत्क्ष कर है, जिसमें तमाम अप्रत्यक्ष करों शामिल कर दिया गया, जिनमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) शामिल है।
वित्त वर्ष 2024 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक डीजीजीआई ने 2023-24 में जीएसटी चोरी के कुल 6,084 मामले चिह्नित किए थे, जो कुल 2.01 करोड़ रुपये के हैं। यह राशि इसके पहले के वित्त वर्ष की तुलना में दोगुनी है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि ऑनलाइन गेमिंग और BFSI सेक्टर कर चोरी के मामले में ज्यादा संवेदनशील हैं। वित्त वर्ष 2024 में ‘रियल मनी ऑनलाइन गेमिंग’ में कर चोरी 81875 करोड़ रुपये पहुंच गई, जबकि बीएफएसआई सेक्टर में कर चोरी के 18,961 मामलों की पहचान की गई।
उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और सर्कल ऑफ काउंसल में सीनियर पार्टनर जैसमिन दामकेवाला ने कहा कि सीजीएसटी ऐक्ट की धारा 79 के तहत प्राधिकारियों को न्यायालय के आदेशों को लागू करने और वस्तु व संपत्तियों की जब्ती के आदेश को लागू करने के अलावा विभिन्न तरीकों से कर बकाये की वसूली की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है।
वसूली के अन्य अन्य पारंपरिक तरीकों में भूमि राजस्व प्राधिकरण के माध्यम से वसूली, जमानतदार से वसूली, बकाया राशि का भुगतान होने तक संपत्ति की अनंतिम कुर्की शामिल है।