बिजली की मांग रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने सभी बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) को अपनी कुल कोयला जरूरत का 6 प्रतिशत आयात करने का निर्देश दिया है। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कोयले का उत्पादन बढ़ा है, वहीं बिजली मंत्रालय ने कहा है कि यह बढ़ोतरी ‘बिजली की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी’ की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सोमवार को बिजली मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘बिजली की मांग में वृद्धि और मांग के मुताबिक घरेलू कोयले की आपूर्ति पर्याप्त न होने की स्थिति को देखते हुए घरेलू कोयले में आयातित कोयला मिलाने की जरूरत महसूस की गई है। एमओपी सभी जेनको को निर्देश देता है कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों और अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही (सितंबर 2023 तक) में 6 प्रतिशत मिलावट के लिए कोयले का आयात करें।’
ग्रिड इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। यह वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही तक तेज रहेगी। बिजली मंत्रालय उम्मीद कर रहा है कि वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही के दौरान घरेलू कोयला करीब 2.4 करोड़ टन कम पड़ेगा। अगर रोजाना के हिसाब से देखें तो घरेलू कोयले की आपूर्ति 1 से 3 लाख टन कम रहेगी।
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नोट मे कहा गया है, ‘यह आकलन किया गया है कि अगर घरेलू कोयले में आयातित कोयला नहीं मिलाया जाता है तो घरेलू कोयले पर आधारित संयंत्रों को को कोयले की कमी पड़ेगी और इससे देश में बिजली आपूर्ति की स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा।’ इस समय बिजली इकाइयों के पास कोयले का भंडार करीब 3.2 करोड़ टन (मोटे तौर पर 11 दिन के संयंत्र चलाने के लिए) है, जबकि कोयला कंपनियों के पास 3.6 करोड़ टन कोयला है।