भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती आई है और यह 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। S&P ग्लोबल द्वारा संकलित HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) दिसंबर में 54.9 रहा, जो नवंबर में 56 था।
उत्पादन और नए ऑर्डर में सुस्त वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है। गिरावट के बावजूद दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI के आंकड़े लगातार 30वें महीने 50 से ऊपर हैं। सर्वे में 50 अंक से ऊपर प्रसार और इससे कम संकुचन दिखाता है।
निजी सर्वे के मुताबिक दिसंबर में भी इस सेक्टर में प्रसार हुआ है, भले ही वृद्धि की रफ्तार कम हुई है। फैक्टरी ऑर्डर और उत्पादन में तेज वृद्धि की जगह कमजोर वृद्धि हुई है, जबकि कारोबारी विश्वास मजबूत हुआ है।
HSBC में चीफ इंडिया इकॉनमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा, ‘दिसंबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार जारी रहा है। हालांकि इसके पहले महीने की तेजी की तुलना में रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है।’
‘उत्पादन और नए ऑर्डर दोनों की वृद्धि कमजोर पड़ी है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ भविष्य के उत्पादन का सूचकांक बढ़ा है। इनपुट और आउटपुट की कीमत में वृद्धि की दर में व्यापक तौर पर कोई बदलाव नहीं हुआ है।’
नए कारोबार के लाभ, बाजार की अनुकूल स्थिति के कारण दिसंबर महीने के दौरान मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में एक और तेजी दर्ज की गई। बहरहाल विस्तार की दर अक्टूबर 2022 के बाद सबसे कमजोर रही, भले ही दीर्घावधि औसत की तुलना में वृद्धि दर ऊपर बनी हुई है। कुछ खास तरह के उत्पादों की मांग कम होने के कारण वृद्धि कमजोर पड़ी है।
इसमें कहा गया है, ‘उत्पादन और नए ऑर्डर में तेजी का रुख रहा और भारत के विनिर्माताओं ने वृद्धि दर्ज की, लेकिन दिसंबर में यह तुलनात्मक रूप से सुस्त है। प्रसार की रफ्तार डेढ़ साल में की तुलना में सबसे सुस्त रही है।’
इसमें कहा गया कि भारत में वस्तुओं के उत्पादकों के अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में लगातार 21वें महीने वृद्धि हुई है। एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और उत्तर अमेरिका के ग्राहकों से लाभ हुआ है । वस्तुओं के उत्पादकों ने संकेत दिए हैं कि कैलेंडर वर्ष 2023 के अंत में खरीद मूल्य में तेजी आई है। केमिकल्स, कागज और टेक्सटाइल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है।
नवंबर की तुलना में मामूली बदलाव के साथ महंगाई की दर का असर कम रहा है और पिछले साढ़े तीन साल में यह महंगाई में दूसरी सबसे कमजोर वृद्धि है। कच्चे माल के भंडार में वृद्धि की मुख्य वजह खरीद के स्तर में सतत वृद्धि थी। खरीद की मात्रा पिछले ढाई साल में लगातार बढ़ी है।
वहीं दिसंबर में तेज वृद्धि देखी गई है, हालांकि नवंबर 2022 के बाद से यह वृद्धि सबसे सुस्त है। सर्वे में कहा गया है कि अगर हम उत्पादन के एक साल पहले के परिदृश्य का आकलन करें तो भारत के विनिर्माता 3 महीनों तक सबसे ज्यादा उत्साहित थे।