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भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को टैरिफ से ज्यादा कंपटीशन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए: उद्योग जगत

CII समिट में विशेषज्ञों की राय—टैरिफ से संरक्षण के बजाय वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आरऐंडडी पर निवेश बढ़ाने की जरूरत

Last Updated- March 25, 2025 | 10:32 PM IST
Editorial: Challenges of India's manufacturing sector, over-regulation and the trap of small plants भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियां, अति नियमन और छोटे संयंत्रों का जाल

देश के कंपनी जगत के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र को संरक्षण के लिए टैरिफ (आयात शुल्क) पर निर्भर रहने के बजाय प्रतिस्पर्धा और कारोबार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। सीआईआई मैन्युफैक्चरिंग समिट में सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष जमशेद गोदरेज ने कहा कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से घरेलू निवेशकों के संरक्षण के लिए ऊंचे शुल्क बनाए रखे हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 1991 में उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ाने के लिए उदारीकरण आवश्यक था। गोदरेज ने संवाददाताओं से कहा, ‘टैरिफ प्रतिस्पर्धा से जुड़े हैं। अगर आप टैरिफ की आड़ में रहेंगे तो आप प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाएंगे।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए ब्लू स्टार के प्रबंध निदेशक (एमडी) बी त्यागराजन ने कहा कि भारतीय उद्योग के सामने तीन चुनौतियां हैं- पहली, वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ाना, आपूर्ति श्रृंखला पर बढ़ती निर्भरता और मूल्य वर्धित उत्पादों तथा सेवाओं की पेशकश करने के लिए अनुसंधान और विकास (आरऐंडडी) पर ध्यान केंद्रित करना।

यह मौजूदा अनिश्चिता से भरे भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण है, जहां विभिन्न देशों के बीच टैरिफ को लेकर लड़ाई चल रही है। उदाहरण के तौर पर भारत दवा निर्माण के लिए सक्रिय फार्मास्यूटिकल कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है या हम अब भी एसी कंप्रेसर बनाने में आत्मनिर्भर नहीं हैं और इस कमी को मुख्य रूप से चीन से आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।

उद्योग के अंदरूनी सूत्रों को ऐसा लगता है कि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी अनिश्चितताएं बढ़ने के साथ ही कंपनियां अधिक अवयवों की खरीद और इन्वेंट्री बनाने की कोशिश कर रही हैं। त्यागराजन ने कहा कि यह एक भीषण तूफान से पहले की तरह है जब कोई पहले ही पानी और भोजन का भंडार जुटाकर रखता है। लेकिन इन्वेंट्री मजबूत करने के लिए कार्यशील पूंजी लगाने की भी एक सीमा है।

गोदरेज ने कहा कि प्रमुख चुनौती चीन जैसे देशों से मुकाबला करने के लिए विनिर्माण को बढ़ाना है। उन्होंने कहा, ‘अब भारत में कई उद्योग बड़े हो गए हैं। इस्पात उद्योग का आकार बढ़ा है, सीमेंट उद्योग का भी बढ़ा है। ऐसे कई उद्योग हैं लेकिन उन्हें अपान कारोबार और प्रतिस्पर्धी बढ़ाना चाहिए।’

गोदरेज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि टैरिफ पर ध्यान देना गलत है। सबसे पहले प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और मुझे लगता है कि हर किसी को इस टैरिफ वाली मानसिकता को झटक देना चाहिए। असली चुनौती यह है कि बहुत कम टैरिफ के साथ आप कैसे प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।’ भारतीय विनिर्माण क्षेत्र पूर्ण रूप से बढ़ा है और अब इसकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा, ‘हम इसे और तेजी से बढ़ाना चाहते थे। सेवाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। लेकिन हमने अब भी देश में जीडीपी के हिस्से के रूप में विनिर्माण के 25 प्रतिशत का लक्ष्य रखा हुआ है।’

भाटिया ने कहा, ‘उत्पादन में 14 लाख करोड़ रुपये और निर्यात में 5.3 लाख करोड़ रुपये की उल्लेखनीय उपलब्धि ने 11.5 लाख से अधिक नौकरियों के अवसर तैयार किए हैं। यह सिर्फ एक संख्या नहीं है बल्कि इससे आजीविका, आकांक्षा और आर्थिक गति का पता चलता है जिसके बलबूते हमारा देश आगे बढ़ता है।’

First Published - March 25, 2025 | 10:28 PM IST

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