ब्रिटेन के साथ हाल में किए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत ने 10 साल की अवधि में ब्रिटेन के आयात पर औसत शुल्क को मौजूदा 15 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी करने पर सहमति जताई है। इससे सरकार के सीमा शुल्क संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मगर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एफटीए के कारण निर्यात बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से समग्र राजस्व संग्रह पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत को जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान देशों के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत तरजीही शुल्क कटौती के कारण वित्त वर्ष 2025 में सीमा शुल्क के रूप में 94,172 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने सीमा शुल्क संग्रह 2.1 फीसदी बढ़कर 2.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। ब्रिटेन के साथ किए गए व्यापार करार में भारत ने 90 फीसदी वस्तुओं पर शुल्क हटाने या कम करने पर सहमति जताई है और मुक्त व्यापार समझौते के लागू होने के बाद ब्रिटेन से आने वाली 64 फीसदी वस्तुएं शुल्क मुक्त हो जाएंगी। इसका असर सीमा शुल्क संग्रह पर पड़ेगा। भारत इस साल अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ भी व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है इससे शुल्क संग्रह पर और दबाव बढ़ सकता है।
वित्त वर्ष 2026 के बजट दस्तावेज के अनुसार आसियान के साथ किए गए एफटीए से भारत को वित्त वर्ष 2025 में 37,875 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। जापान के मामले में 12,038 करोड़ रुपये और दक्षिण कोरिया के साथ किए गए एफटीए के कारण राजस्व संग्रह पर 10,335 करोड़ रुपये का असर पड़ा है।
भारत में उच्च शुल्क होने के कारण साझेदार देशों को बाजार पहुंच उपलब्ध कराने के लिए मुक्त व्यापार समझौता वार्ता के दौरान सीमा शुल्क में अच्छी-खसी कटौती करनी पड़ सकती है।
इस तरह की शुल्क रियायतों के कारण राजस्व को होने वाला नुकसान राजस्व विभाग के अधिकारियों के लिए बड़ा मुद्दा रहा है। यही वजह है कि उन्होंने ऐसे व्यापारिक करार के खिलाफ तर्क दिए हैं। हालांकि यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि सीमा शुल्क को राजस्व-उत्पादक साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्री और निदेशक एन आर भानुमूर्ति ने सीमा शुल्क संग्रह पर असर पड़ने की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि शुल्क कटौती से होने वाला शुद्ध लाभ मध्यम अवधि में सकारात्मक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क को राजस्व प्राप्ति के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे कोई भी सीमा शुल्क बढ़ाकर अधिक राजस्व प्राप्त कर सकता है।’
भानुमूर्ति ने कहा कि सीमा शुल्क में कमी से मूल्य वर्द्धन, रोजगार सृजन और कर रिटर्न बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘उच्च सीमा शुल्क का यह मतलब भी है कि घरेलू ग्राहकों को अंतिम उत्पादों के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ता है। जब आप निर्यात ज्यादा करते हैं तो अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी ज्यादा होता है। यह राजस्व के सीमा शुल्क से अन्य करों की ओर स्थानांतरित होने का मामला है। सीमा शुल्क का उपयोग केवल कृषक समुदाय जैसे कमजोर वर्ग की रक्षा के लिए या किसी अन्य देश द्वारा डंपिंग को रोकने के लिए किया जाना चाहिए।’