दुनिया भर में टैरिफ वॉर और कमजोर उपभोक्ता भावना के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का माहौल है। लेकिन इसी माहौल में Indian Economy मजबूती दिखा रही है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की अप्रैल महीने की “स्टेट ऑफ द इकोनॉमी” रिपोर्ट के अनुसार, भारत के इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर से जुड़े कई इंडिकेटर अप्रैल में भी अच्छी रफ्तार में रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी खबरों के कारण अप्रैल की शुरुआत में घरेलू शेयर बाजार थोड़ा कमजोर हुआ था। लेकिन जैसे ही अमेरिका ने अपने कुछ टैक्स फैसलों को अस्थायी तौर पर रोका और भारत में जनवरी-मार्च तिमाही में बैंकिंग और फाइनेंस कंपनियों के अच्छे नतीजे आए, शेयर बाजार ने अच्छी रिकवरी दिखाई।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था की तस्वीर अब भी धुंधली है क्योंकि दुनियाभर में पॉलिसी में बदलाव हो रहे हैं और कई जोखिम बने हुए हैं। लेकिन भारत की स्थिति को लेकर रिपोर्ट ने “सावधानीभरी आशावाद” (cautious optimism) जताई है।
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अप्रैल 2025 में आई IMF की ताज़ा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत 2025 में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा और इस साल जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में महंगाई में काफी राहत देखी गई है और यह 2025-26 में तय लक्ष्य के आसपास टिक सकती है। रबी फसल अच्छी होने और इस साल सामान्य से बेहतर मानसून की उम्मीद से गांवों में खपत बढ़ेगी और खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई भी नियंत्रण में रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि उपभोक्ताओं और कारोबारियों का भरोसा भी मजबूत बना हुआ है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा मिल रहा है। वैश्विक व्यापार में बदलाव और इंडस्ट्रियल नीतियों के नए रुझानों के बीच रिपोर्ट में भारत को एक “कनेक्टर कंट्री” यानी जोड़ने वाला देश बताया गया है। खासकर टेक्नोलॉजी, डिजिटल सर्विसेज और फार्मा जैसे सेक्टर में भारत अहम भूमिका निभा सकता है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, खाने के सामान की कीमतें पिछले कुछ महीनों में कम हुई हैं जिससे कुल महंगाई में राहत मिली है। हालांकि, कोर महंगाई यानी बिना खाने और ईंधन के महंगाई पर अब भी सोने की ऊंची कीमत का असर देखा जा रहा है। लेकिन अगर सोने को हटा दिया जाए, तो बाकी महंगाई भी स्थिर ही है।
इस रिपोर्ट को RBI के स्टाफ ने डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता की निगरानी में तैयार किया है। साथ ही स्पष्ट किया गया है कि इसमें जताए गए विचार रिज़र्व बैंक के नहीं बल्कि रिपोर्ट तैयार करने वाले स्टाफ के हैं।