भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारत का वित्तीय तंत्र विकसित देशों में हाल में उत्पन्न बैंकिंग संकट से पूरी तरह बेअसर रहा है। दास ने कहा कि अमेरिका या स्विट्जरलैंड में हाल में हुई घटनाओं से भारत के बैंकिंग और वित्तीय तंत्र पर कोई असर नहीं हुआ है और भारत का बैंकिंग तंत्र लचीला, स्थिर तथा मजबूत है।
दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंक के प्रमुखों (FMCBG) की दूसरी बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दास ने यह कहा। बैठक भारत की अध्यक्षता में हो रही है।
गवर्नर ने कहा, ‘बात पूंजी पर्याप्तता की हो, फंसे कर्ज की हो या नकदी की हो, भारत की बैंकिंग व्यवस्था सभी पैमानों पर काफी मजबूत है। प्रोविजन कवरेज रेश्यो, शुद्ध ब्याज मार्जिन या बैंकों के मुनाफे की बात करें तो हर मामले में भारत के बैंकिंग तंत्र की सेहत शानदार है।’
वाशिंगटन में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की बैठक से इतर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर ने FMCBG बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। बैठक के तीन सत्रों में वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे, टिकाऊ वित्त, वित्तीय क्षेत्र एवं वित्तीय समावेशन और अंतरराष्ट्रीय कराधान व्यवस्था पर चर्चा हुई।
दास ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) सहित पूरे बैंकिंग ढांचे के नियमन एवं निगरानी में काफी सुधार किया है और किसी भी तरह के जोखिम की आशंका बहुत हद तक कम कर दी है। उन्होंने कहा, ‘हमने बैंकिंग तंत्र की निगरानी काफी बढ़ा दी है और संकट पैदा होने से पहले उसके संकेत दिखते ही समाधान खोजने पर जोर दे रहे हैं। हम खतरे की आहट पाते ही बैंकों कों किसी संभावित संकट से निपटने के लिए समय रहते सचेत होने और आवश्यक उपाय करने के लिए कहते हैं।’
सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि FMCBG की बैठक में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों ने ऋण संकट की आहट मिलते ही इसके त्वरित समाधान की जरूरत पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बैठक में विभिन्न देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने और कम एवं मध्यम आय वाले देशों में पनप रहे ऋण संकट के लिए विभिन्न देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
सीतारमण ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए वित्तीय सहयोग पर भी चर्चा सकारात्मक रही। निजी स्रोतों से सहयोग, जीवाश्म ईंधन से हरित ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने और तकनीकी आवश्यकताओं पर आने वाले खर्च पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है।’
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों के नियमन के लिए वैश्विक स्तर पर तालमेल बिठाने के लिए जी 20 देशों के बीच आपसी सहमति बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘जिन क्रिप्टो परिसंपत्तियों को सरकार से मान्यता नहीं मिली है, वे आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कराधान पर FMCBG की बैठक में पारदर्शी, टिकाऊ एवं आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कर विधान के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
वित्त मंत्री ने वाशिंगटन में श्रीलंका के ऋण संकट पर भी एक उच्च-स्तरीय बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में उन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में श्रीलंका को हरसंभव सहयोग करने का भारत का संकल्प दोहराया।